सागर. राष्ट्रीय उद्यान पन्ना से 20 नवंबर को भागे बाघ को वन अधिकारियों ने शुक्रवार को तेंदूखेड़ा के जंगल में बेहोश करके पिंजरे में कैद कर लिया। उसे वापस पन्ना भेज दिया गया है। यह नर बाघ नवंबर में उद्यान से भाग गया था। पिछले 35 दिनों से वन विभाग का भारी-भरकम अमला इसका पीछा कर रहा था।
19 दिसंबर को इसे सागर के रमना फॉरेस्ट में वन अधिकारियों ने वन्य प्राणी संस्थान देहरादून से आए विशेषज्ञ डॉ. पीके मलिक के निर्देशन में घेर कर बेहोश करने के प्रयास किए थे। बाघ को बेहोश करने के लिए दो निशाने लगाए गए थे। लाव-लश्कर को देख यह बाघ रमना से चंपत होकर नौरादेही अभयारण्य पहुंच गया था।
वन अधिकारी मैदानी अमले के साथ इसके पीछे लगे रहे। वे छह दिन बाद शुक्रवार को इसे दमोह जिले के तेंदूखेड़ा जंगल में बेहोश करने में कामयाब हो गए। राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी बेहोश बाघ को पिंजरे में कैद करके वाहन से पन्ना ले गए। शनिवार को तड़के बाघ एक बार फिर उसी उद्यान में पहुंचेगा। जहां से उसने पिछले माह 20 नवंबर को दौड़ लगाई थी।
इस दौरान उसने जंगल में 200 किलो मीटर से अधिक का फासला तय किया। इस दौरान उसने दमोह, छतरपुर और सागर जिले की सीमाएं लांघी।...
19 दिसंबर को इसे सागर के रमना फॉरेस्ट में वन अधिकारियों ने वन्य प्राणी संस्थान देहरादून से आए विशेषज्ञ डॉ. पीके मलिक के निर्देशन में घेर कर बेहोश करने के प्रयास किए थे। बाघ को बेहोश करने के लिए दो निशाने लगाए गए थे। लाव-लश्कर को देख यह बाघ रमना से चंपत होकर नौरादेही अभयारण्य पहुंच गया था।
वन अधिकारी मैदानी अमले के साथ इसके पीछे लगे रहे। वे छह दिन बाद शुक्रवार को इसे दमोह जिले के तेंदूखेड़ा जंगल में बेहोश करने में कामयाब हो गए। राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी बेहोश बाघ को पिंजरे में कैद करके वाहन से पन्ना ले गए। शनिवार को तड़के बाघ एक बार फिर उसी उद्यान में पहुंचेगा। जहां से उसने पिछले माह 20 नवंबर को दौड़ लगाई थी।
इस दौरान उसने जंगल में 200 किलो मीटर से अधिक का फासला तय किया। इस दौरान उसने दमोह, छतरपुर और सागर जिले की सीमाएं लांघी।...
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