राज्य सरकार उपभोक्ताओं के अधिकारों को पूरी हिफाज़त देने के लिए प्रतिबद्ध है। अपनी इस जिम्मेदारी को और कारगर तरीके से निभाने के लिए उसने खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता लाने पर ध्यान केन्द्रित किया है। इस मकसद से मध्यप्रदेश उपभोक्ता कल्याण निधि कायम की जा रही है।
इस निधि से उपभोक्ता संरक्षण के काम में लगे संगठनों को अनुदान जुटाया जाएगा। इस वित्तीय राशि की मंजूरी के लिए राज्य स्तर पर एक स्थाई समिति गठित की जाएगी। इस पूरी कार्रवाई के लिए नियम बनाए गए हैं। वर्षों से अपेक्षित इस मंशा को मौजूदा राज्य सरकार जल्द मूर्त करने जा रही है।
किन्हें मिलेगा अनुदान
इस सिलसिले में बनाए गए ताज़ा नियम के तहत उस एजेंसी या संगठन को अनुदान दिया जाएगा जो उपभोक्ता कल्याण के काम में सक्रिय रहा है। इनका कंपनी अधिनियम 1956 या समय विशेष में लागू किसी अन्य कानून के तहत कम से कम तीन साल के लिए रजिस्टर्ड होना जरूरी होगा।
ऐसी एजेंसी या संगठन का स्वरूप ग्राम, मंडल या समिति स्तर का, उपभोक्ता सहकारी समिति और खास कर महिला, अजा, अजजा का या फिर राज्य अथवा केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित या संचालित किए जा रहे संगठन या सोसायटी का होगा। नियम में साफ किया गया है कि तीन वर्षों के रजिस्ट्रेशन की शर्त राज्य या केन्द्र सरकार द्वारा कायम एजेंसी, सोसायटी पर लागू नहीं होगी।
कैसे होगी कल्याण निधि कायम
उपभोक्ता कल्याण निधि प्रदेश के लोक खाते (पब्लिक एकाउंट) के तहत कायम होगी। इसमें केन्द्रीय उपभोक्ता कल्याण निधि के पैसों के साथ ही उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत किसी उपभोक्ता वस्तु के निर्माता से दण्ड स्वरूप हासिल की गई राशि भी जमा होगी।
निधि में धनराशि का एक और इंतज़ाम केन्द्र सरकार द्वारा उपभोक्ता आंदोलन को मजबूत करने के लिये दी गई सहायता को इसमें जमा करके किया जायेगा। इसके अन्य स्वरूप में किसी और स्रोत से हासिल आमदनी और अनुचित तरीके से पैसा इकठ्ठा करने के मामलों में प्राप्त रिफंड की राशि भी इस अधिनियम के तहत उपभोक्ता कल्याण निधि में जमा होगी।
कल्याण निधि का हिसाब-किताब
राज्य उपभोक्ता कल्याण निधि में जमा पैसों की शक्ल लोक खाते के तहत बगैर लैप्स होने वाली राशि की होगी। राज्य सरकार द्वारा तय की जाने वाली प्रक्रिया के तहत निधि में जमा राशि को कोषालय में व्यक्तिगत जमा खाते के बतौर ब्याज सहित रखा जायेगा। इस निधि के लिये आयुक्त सह संचालक खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण द्वारा एक मुनासिब तथा अलग खाता (एकाउंट) संधारित किया जायेगा। इस निधि की राशि का इस्तेमाल उसी तरह से होगा जैसा कि राज्य के लोक खाते में से अन्य कार्यों के लिये होता है। इस निधि का आडिट महालेखाकार द्वारा कराया जायेगा।
मंजूरी के लिये कमेटी
राज्य उपभोक्ता कल्याण निधि से पैसों के इस्तेमाल या मंजूरी को लेकर राज्य सरकार एक स्थाई समिति गठित करेगी। इसे प्रमुख सचिव या सचिव खाद्य आपूर्ति की अध्यक्षता में गठित किया जायेगा और इसके उपाध्यक्ष वित्त विभाग के सचिव या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति होंगे। समिति के सदस्यों में सचिव ग्रामीण विकास, सचिव स्कूल शिक्षा, संयुक्त सचिव केन्द्रीय उपभोक्ता कार्य मामले, संचालक जनसंपर्क, आयुक्त या संचालक खाद्य आपूर्ति, रजिस्ट्रार मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग और राज्य स्तरीय स्वैच्छिक उपभोक्ता कल्याण संगठन के एक प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इस निधि से उपभोक्ता संरक्षण के काम में लगे संगठनों को अनुदान जुटाया जाएगा। इस वित्तीय राशि की मंजूरी के लिए राज्य स्तर पर एक स्थाई समिति गठित की जाएगी। इस पूरी कार्रवाई के लिए नियम बनाए गए हैं। वर्षों से अपेक्षित इस मंशा को मौजूदा राज्य सरकार जल्द मूर्त करने जा रही है।
किन्हें मिलेगा अनुदान
इस सिलसिले में बनाए गए ताज़ा नियम के तहत उस एजेंसी या संगठन को अनुदान दिया जाएगा जो उपभोक्ता कल्याण के काम में सक्रिय रहा है। इनका कंपनी अधिनियम 1956 या समय विशेष में लागू किसी अन्य कानून के तहत कम से कम तीन साल के लिए रजिस्टर्ड होना जरूरी होगा।
ऐसी एजेंसी या संगठन का स्वरूप ग्राम, मंडल या समिति स्तर का, उपभोक्ता सहकारी समिति और खास कर महिला, अजा, अजजा का या फिर राज्य अथवा केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित या संचालित किए जा रहे संगठन या सोसायटी का होगा। नियम में साफ किया गया है कि तीन वर्षों के रजिस्ट्रेशन की शर्त राज्य या केन्द्र सरकार द्वारा कायम एजेंसी, सोसायटी पर लागू नहीं होगी।
कैसे होगी कल्याण निधि कायम
उपभोक्ता कल्याण निधि प्रदेश के लोक खाते (पब्लिक एकाउंट) के तहत कायम होगी। इसमें केन्द्रीय उपभोक्ता कल्याण निधि के पैसों के साथ ही उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत किसी उपभोक्ता वस्तु के निर्माता से दण्ड स्वरूप हासिल की गई राशि भी जमा होगी।
निधि में धनराशि का एक और इंतज़ाम केन्द्र सरकार द्वारा उपभोक्ता आंदोलन को मजबूत करने के लिये दी गई सहायता को इसमें जमा करके किया जायेगा। इसके अन्य स्वरूप में किसी और स्रोत से हासिल आमदनी और अनुचित तरीके से पैसा इकठ्ठा करने के मामलों में प्राप्त रिफंड की राशि भी इस अधिनियम के तहत उपभोक्ता कल्याण निधि में जमा होगी।
कल्याण निधि का हिसाब-किताब
राज्य उपभोक्ता कल्याण निधि में जमा पैसों की शक्ल लोक खाते के तहत बगैर लैप्स होने वाली राशि की होगी। राज्य सरकार द्वारा तय की जाने वाली प्रक्रिया के तहत निधि में जमा राशि को कोषालय में व्यक्तिगत जमा खाते के बतौर ब्याज सहित रखा जायेगा। इस निधि के लिये आयुक्त सह संचालक खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण द्वारा एक मुनासिब तथा अलग खाता (एकाउंट) संधारित किया जायेगा। इस निधि की राशि का इस्तेमाल उसी तरह से होगा जैसा कि राज्य के लोक खाते में से अन्य कार्यों के लिये होता है। इस निधि का आडिट महालेखाकार द्वारा कराया जायेगा।
मंजूरी के लिये कमेटी
राज्य उपभोक्ता कल्याण निधि से पैसों के इस्तेमाल या मंजूरी को लेकर राज्य सरकार एक स्थाई समिति गठित करेगी। इसे प्रमुख सचिव या सचिव खाद्य आपूर्ति की अध्यक्षता में गठित किया जायेगा और इसके उपाध्यक्ष वित्त विभाग के सचिव या उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति होंगे। समिति के सदस्यों में सचिव ग्रामीण विकास, सचिव स्कूल शिक्षा, संयुक्त सचिव केन्द्रीय उपभोक्ता कार्य मामले, संचालक जनसंपर्क, आयुक्त या संचालक खाद्य आपूर्ति, रजिस्ट्रार मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग और राज्य स्तरीय स्वैच्छिक उपभोक्ता कल्याण संगठन के एक प्रतिनिधि शामिल होंगे।
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