20 August 2009

नौरादेही के तालाबों मे बसेरा बनाना रास आ रहा हैं मगरमच्छों को....

सागर. नौरादेही अभयारण्य के तालाबों मे मगरमच्छों को बसेरा बनाना पसंद आने लगा है। कई सालों तक बमनेर नदी के रगैदा घाट सीमित रहे बसेरे को मगरमच्छों ने अब खपराखेड़ा सहित आधा दर्जन बड़े तालाबों में फेलाला शुरू कर दिया है। दुर्गावती, बुंदलकटा, मोगरा, जुमराती और सिंगपुर तालाब मगरमच्छ के नए ठिकाने बन गए हैं। जिनमें 12 मगरमच्छ हैं। पिछले साल तक यह सिर्फ एक तालाब में दिखाई देते थे। भेड़ियों पर आधारित इस अभयारण्य में पिछले पांच-छह वर्र्षो के दौरान मगरमच्छों का वंश तेजी बढ़ा है।
जिससे उनकी संख्या 250 के आसपास पहुंच गई है। कल तक जो मगरमच्छ सिर्फ बमनेर नदी के रगैदा घाट एवं चकई नाला में नजर आते थे। अब वे तालाबों में भी दिखने लगे हैं। जिससे आसपास के गांवों के लोग तालाबों के नजदीक जाने से कतरा रहे हैं। पिछले माह एक मगर गांव तक पहुंच गया था। बमनेर नदी के रगैदाघाट पर प्राकृतिक रूप से प्रतिवर्ष मगरमच्छ बढ़ रहे हैं। प्रबंधन का मानना है कि यह घाट काफी शांत एवं सुरक्षित जगह है।
जहां नदी के किनारे बनी पक्की दीवारों के कारण मवेशी और अन्य वन्यप्राणी नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे यहां रेत के टीलों में मगरमच्छ के अंडे सुरक्षित रहते हैं। महीने भर पहले यहां तीन नेस्ट से अंडों से 90 बच्चे निकलकर नदी में गए थे। इनका वंश इसी तरह आगे भी बढ़ता रहा तो अभयारण्य के सभी बड़े जलस्त्रोत मगरमच्छ का आशियाना बन जाएंगे।
मगरमच्छों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट तैयार होगा
नदी के मगरमच्छों ने खुद को दबाव से उबारने के लिए तालाबों को अपना नया ठिकाना बनाया होगा। सर्दी के मौसम में नदी के दोनों किनारों पर ढेरों मगरमच्छ धूप सेंकने के लिए पानी से बाहर निकलते है। जिन्हें देखने से पता चलता है कि इनकी काफी संख्या है। अब मगरमच्छों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा। - आरएस सिकरवार, डीएफओ, नौरादेही अभयारण्य

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