21 August 2009

सरकार ने 'डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन' को अनिवार्य किया

प्रदेश में खरीदे जाने वाले नए दुपहिया और चार पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन अब शो-रूम में ही होगा। प्रदेश सरकार ने 'डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन' को अनिवार्य कर दिया है। साथ ही डीलरों की भी जवाबदेही तय की है और कहा है कि बिना नंबर वाले वाहन शो-रूम से बाहर नहीं किए जाएंगे।
राज्य सरकार ने 'डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन' की सुविधा सितंबर 06 में शुरू की थी। तब यह व्यवस्था अनिवार्य नहीं थी। परिवहन विभाग के उप सचिव डॉ. दिलीप राज द्विवेदी ने उक्त आदेश में संशोधन करते हुए अगस्त 09 से इसे अनिवार्य कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि आमतौर पर डीलरों का तर्क रहता है कि ग्राहक को तत्काल वाहन उपलब्ध कराना होता है। ऐसे में बिना रजिस्ट्रेशन वाहन ग्राहक को उपलब्ध करा दिया जाता है। उक्त नियम का पालन सुनिश्चित कराने के लिए राज्य शासन ने मौके पर वाहन का रजिस्ट्रेशन कराने का निर्णय लिया है।
डीलरों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे परिवहन विभाग की इंटरनेट आधारित 'डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन' के तहत 'रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी' के रूप में वाहनों का रजिस्ट्रेशन करें और राज्य की सीमा के अंदर के पते पर उसे भेजें। आदेश में कहा गया है कि डीलर केंद्रीय मोटरयान अधिनियम 1989 के नियम 50 के तहत प्लेट पर नंबर लिखे जाने के संबंध में तय प्रावधानों का पालन करेंगे।
पुराने वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकेंगे डीलर : राज्य सरकार ने यह प्रावधान किया है कि डीलर पुराने वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकेंगे। उन्हें अन्य डीलरों द्वारा बेचे गए नए वाहन का रजिस्ट्रेशन करने का अधिकार भी नहीं होगा। डीलर स्वयं द्वारा बेचे गए वाहनों का रजिस्ट्रेशन ही कर सकते हैं। वाहन बेचते समय डीलर ग्राहक से शासन को देय समस्त कर और दस्तावेज प्राप्त करेंगे और विभाग के साफ्टवेयर में आवश्यक डाटा दर्ज करेंगे। इसके अलावा इंटरनेट बैकिंग एकाउंट का उपयोग कर राशि का भुगतान करेंगे। यह सब करने के बाद वाहन को नंबर आवंटित किया जाएगा। ग्राहक को रजिस्ट्रेशन का अस्थाई प्रमाण पत्र दिया जाएगा। बाद में रजिस्ट्रेशन कार्ड पते पर भेजा जाएगा। यह सब करने के लिए परिवहन विभाग डीलरों को प्रशिक्षण देगा।

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