पन्ना। बाघ विहीन हो चुके मध्यप्रदेश के पन्ना बाघ अभ्यारण्य क्षेत्र में दो बाघ शावक देखे गए हैं। अभ्यारण्य के बाहरी क्षेत्र में उत्तर वन मंडल के जंगल में पिछले दिनों एक चरवाहे को ये दो शावक नजर आए। पन्ना के जंगल में दो शावकों की मौजूदगी के संकेत मिलने से वन्य जीव प्रेमियों में उम्मीद की किरण जागी है। इस खबर के बाद से बाघों के रहवास स्थल वाले जंगलों की चौकसी बढ़ा दी गई है और वन विभाग का अमला शावकों की खोज में जुट गया है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व का 543 वर्ग किमी का क्षेत्र बाघ विहीन हो चुका है। केन्द्रीय जांच समिति के खुलासे के बाद यह मुद्दा न सिर्फ प्रदेश अपितु पूरे देश में गर्माया हुआ है। ऎसे समय पर यह खबर मिलना कि पन्ना टाइगर रिजर्व के बाहर सामान्य वन्य क्षेत्र में बाघों का वजूद अभी भी कायम है, यह सुकून देने वाली बात है। लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी अभी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि सामान्य वन क्षेट में बाघ अभी भी अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं।
आधिकाीरयों का यह मानना है कि बाघों की मौजूदगी के प्रामाणिक साक्ष्य जब तक नहीं मिल जाते तब तक उन्हें चरवाहे की बात पर भरोसा हो भी नहीं सकता। बाघों के लिए संरक्षित वन क्षेत्र में जब बाघों को नहीं बचाया जा सका तो जहां कोई सुरक्षा नहीं है वहां बाघ कैसे बच सकते हैं । लेकिन यदि ऎसा है तो फिर निश्चित ही यह बात शोध का विषय हो सकती है।
जानकारों तथा वन क्षेत्र के रहवासियों का यह कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के बाहर सामान्य वन क्षेत्र में कुछ इलाके ऎसे हैं, जो सदियों से बाघों के प्रिय रहवास स्थल रहे हैं। यहां के घन जंगलों में दर्जनों की संख्या में प्राकृतिक गुफाएं तथा बाघों का प्रिय भोजन सांभर, चीतल, नीलगाय एवं जंगली सुअर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। अत्यधिक दुर्गम तथा प्रकृति के उपहारों से समृद्व यहां के जंगलों में मानव की दखलंदाजी जहां बहुत कम है, वही वन विभाग का अमला भी यहां जाने की जहमत नहीं उठाता। शायद यही वजह है कि असुरक्षित कहे जाने वाले इस वन क्षेत्र में बाघों का वजूद बना हुआ है।
आधिकाीरयों का यह मानना है कि बाघों की मौजूदगी के प्रामाणिक साक्ष्य जब तक नहीं मिल जाते तब तक उन्हें चरवाहे की बात पर भरोसा हो भी नहीं सकता। बाघों के लिए संरक्षित वन क्षेत्र में जब बाघों को नहीं बचाया जा सका तो जहां कोई सुरक्षा नहीं है वहां बाघ कैसे बच सकते हैं । लेकिन यदि ऎसा है तो फिर निश्चित ही यह बात शोध का विषय हो सकती है।
जानकारों तथा वन क्षेत्र के रहवासियों का यह कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के बाहर सामान्य वन क्षेत्र में कुछ इलाके ऎसे हैं, जो सदियों से बाघों के प्रिय रहवास स्थल रहे हैं। यहां के घन जंगलों में दर्जनों की संख्या में प्राकृतिक गुफाएं तथा बाघों का प्रिय भोजन सांभर, चीतल, नीलगाय एवं जंगली सुअर पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं। अत्यधिक दुर्गम तथा प्रकृति के उपहारों से समृद्व यहां के जंगलों में मानव की दखलंदाजी जहां बहुत कम है, वही वन विभाग का अमला भी यहां जाने की जहमत नहीं उठाता। शायद यही वजह है कि असुरक्षित कहे जाने वाले इस वन क्षेत्र में बाघों का वजूद बना हुआ है।
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