मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय बजट 2009-10 को किसान विरोधी और आम जनता की दृष्टि से अनुपयोगी बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बढ़ती कीमतों पर काबू पाने और मंदी की मार से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने इस बजट में किसी भी तरह के ठोस उपाय लागू करने का इरादा नहीं दिखाया।
चौहान ने कहा कि बजट पर पहली नजर में यह साफ दिखाई देता है कि केंद्र सरकार किसानों के हित की चिंता की सिर्फ बातें करती है। इस बजट में तीन लाख रुपए से ऊपर कृषि ऋण पर सात प्रतिशत जैसा भारी भरकम ब्याज लगाया गया है। इसके विपरीत मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों को दिए जाने वाले ऋाण पर पहले ब्याज दर घटाकर पांच प्रतिशत कर दी थी और अब इसे तीन प्रतिशत तक लाया गया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों को राहत की आवश्यकता है और किसानों को जो राहत बजट में दी गई वह भी बिना किसानों का वर्गीकरण किए दी गई है। इसी तरह किसानों को सीधे सब्सिडी दिए जाने की जरूरत है।
चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में मात्र सौ दिन का रोजगार दिया जा रहा है। जरूरतमंदों को वर्ष में कम से कम दो सौ दिन रोजगार दिया जाना चाहिए और ग्रामीण मजदूरों को रेखांकित भी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि समग्र रूप में बजट से विभिन्न वर्गों को राहत की जो अपेक्षा थी वह पूरी होती नहीं दिखती।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों को राहत की आवश्यकता है और किसानों को जो राहत बजट में दी गई वह भी बिना किसानों का वर्गीकरण किए दी गई है। इसी तरह किसानों को सीधे सब्सिडी दिए जाने की जरूरत है।
चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम में मात्र सौ दिन का रोजगार दिया जा रहा है। जरूरतमंदों को वर्ष में कम से कम दो सौ दिन रोजगार दिया जाना चाहिए और ग्रामीण मजदूरों को रेखांकित भी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि समग्र रूप में बजट से विभिन्न वर्गों को राहत की जो अपेक्षा थी वह पूरी होती नहीं दिखती।
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