28 June 2009

पीसीसीएफ से पंगा लेने पर जेपी शर्मा का तबादला

वन मुख्यालय में शिकायत एवं सतर्कता शाखा में पदस्थ चर्चित मुख्य वन संरक्षक जेपी शर्मा को प्रधान मुख्य वन संरक्षक डा. पीबी गंगोपाध्याय से पंगा लेना मंहगा पड़ गया। पिछले दिनों श्री शर्मा ने एक नोटशीट लिख कर उन पर अनियमितता करने वाले वन अफसरों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। लिहाजा एक बार फिर उनका तबादला कर दिया गया।

इस बार उन्हें राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है। इतना ही नहीं पहली बार मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के साथ पीसीसीएफ कार्यालय से एक कवरिंग लेटर लगाया गया। इसमें श्री शर्मा को बुधवार 24 जून को ही जबलपुर के लिए भारमुक्त होने तथा अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अजीत सोनकिया को प्रभार सौंपने का निर्देश दिया गया। श्री शर्मा ने आदेश का पालन करते हुए श्री सोनकिया को अपना प्रभार सौंप दिया। बता दें, श्री शर्मा का तीन साल में यह चौथा तबादला है।
उनकी गिनती ईमानदार आईएफएस अफसरों में होती है। सूत्रों का कहना है कि श्री शर्मा कार्यमुक्त तो हो गए लेकिन जाते-जाते एक पत्र वन राज्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला तथा मुख्य सचिव राकेश साहनी को भेज गए। इस पत्र में उन्होंने उन प्रकरणों का ब्योरा दिया है, जिनमें पीसीसीएफ पर अनियमितता करने वाले अफसरों को संरक्षण देने का आरोप है। पत्र में कहा गया है कि संबंधित प्रकरणों में मैंने कार्रवाई की तो मुझे जबलपुर भेज दिया गया।
पत्र में लिखा गया है कि यदि विभाग में ईमानदारी से काम करने वाले अफसरों के साथ ऐसा होता रहा तो जंगल एवं जंगली जानवरों का संरक्षण कैसे संभव है।
सूत्रों का कहना है कि श्री शर्मा ने मंत्री तथा सीएस को लिखे पत्र में चार आईएफएस अफसरों के मामलों का जिक्र किया है। एक प्रकरण सागर में पदस्थ मुख्य वन संरक्षक भानु गुप्ता है। श्री गुप्ता ने सागर से लकड़ी, सीमेंट, रेत, बल्ली तथा तार आदि भोपाल भेजा था। बिलखिरिया थाने में इसे पकड़ा गया। शिकायत हुई कि यह सामग्री श्री गुप्ता ने दूरभाष कर छुड़वाई। इस मामले की शिकायत होने पर आईएफएस श्री कृष्णावतार को जांच की जवाबदारी सौंपी गई। जांच में उन्होंने गड़बड़ी पाई तो जेपी शर्मा ने मामला लोकायुक्त को सौंपने की सिफारिश कर दी। कहते हैं इस मामले को पीसीसीएफ दबाए बैठे हैं। दूसरे मामले में श्री शर्मा ने आईएफएस केपी सिंह से न्यायालयीन प्रकरणों की बारे में जानकारी मांगी। इसके लिए कई बार दूरभाष पर बात की लेकिन उन्होंने जानकारी नहीं भेजी। अंतत: श्री शर्मा ने पीसीसीएफ को शिकायत की।
उन्होंने मामले को ठंडे बस्ते में डालते हुए कहा कि मेरे पीएसओ श्री सिंह से बात कर लेंगे और जानकारी आ जाएगी लेकिन अब तक संबंधित जानकारी नहीं आई। एक अन्य मामला पुष्कर सिंह का है जिन्होंने बर्खास्त ओपी शर्मा से रिकवरी न करने का दबाव बनाया था और श्री शर्मा ने पुष्कर सिंह के खिलाफ एसीएस को पत्र लिख दिया। इस तरह कुछ और मामलों का उल्लेख करते हुए श्री शर्मा ने मंत्री तथा सीएस को लिखी चिट्ठी में कहा है कि वर्तमान में सिर्फ गड़बड़ी, भ्रष्टाचार तथा अनियमितता करने वाले अफसरों का संरक्षण पीसीसीएफ द्वारा किया जा रहा है।

0 comments:

 
© Media Watch Group-Copyright to Visitors Sagar Watch