14 June 2009

घटिया खरीद पर मंत्री पहले हुईं गरम फिर पड़ीं नरम

प्रदेश की महिला बाल विकास राज्य मंत्री ने आंगनवाड़ी केन्द्रों के औचक निरीक्षण में जिस सामान को बेहद घटिया और स्तरहीन पाया था और आनन-फानन में बैठक कर सप्लाई रोकने के निर्देश दिये थे।अब फिर से उसी सामान की समीक्षा की जा रही है। जिलों के महिला बाल विकास अधिकारियों से कहा गया है कि वे देखें कि कौन सा सामान ठीक है और इसकी सूची बनाएं। इससे मंत्री की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे है।
महिला बाल विकास विभाग में प्रदेश के 9914 आंगनवाड़ी केन्दों में फर्नीचर,बर्तन और खाना बनाने में लगने वाले अन्य सामान खरीदने के लिये आठ करोड़ का आर्डर दिया गया था। यह खरीदी लघु उद्योग निगम के माध्यम से होनी थी। सूत्र बताते है कि यह ठेका कुक्षी के एक ठेकेदार को दिया गया था। सामान की सप्लाई भी शुरू हो गई। बाद में जब महिला बाल विकास मंत्री रंजना बघेल ने आंगनबाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण किया तो उन्होंने इस सामान को बेहद घटिया पाया और अधिकारियों व कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाई। इसके बाद आनन-फानन में एक बैठक बुलाई गई।
बैठक में विभाग की प्रमुख सचिव टीनू जोशी,कमिश्रन्र कल्पना श्रीवास्तव और लघु उद्योग निगम के प्रबंध संचालक गोपाल रेड्डी मौजूद थे। बैठक में निर्णय लिया गया कि लधु उद्योग निगम सप्लाई आदेश निरस्त करने की कार्यवाही तत्काल प्रभाव से निरस्त करे और सप्लाई भी तत्काल रोकी जाये। जिलों से कहा गया कि वे आगामी आदेश तक निगम से कोई भी सामग्री प्राप्त न करे साथ ही आंगनवाड़ी केन्द्रों से कहा गया कि पूर्व में प्राप्त सामग्री का वितरण न करे।
बैठक में केन्द्रों को पूर्व में भेजी सामग्री वापस करने का कहा गया। बैठक में लिये गये इन निर्णयों से सनाका खिंच गया। जिले के केन्द्र कुछ कर पाते इसके पहले ही इन निर्णयों में ढील शुरू हो गई। मंत्री का सख्त रवैया कुछ दिनों में ही नरम होने लगा। सामान वापस करने की कार्यवाही रोक दी गई और अब जिलों से कहा गया है कि वे पूर्व में प्रदाय की गई सामग्री का जिला स्तर पर कमेटी बनाकर परीक्षण करे और उसके बारे में अपनी स्वतंत्र राय दें। विभागीय अफसरों की माने तो बैठक में लिये गये निर्णयों में ढ़ील मंत्री के इशारों पर दी गई है।
बताते है कि अब आंगनवाड़ी केन्द्रों को पूर्व में सप्लाई किये गये सामान को ही उपयोग करने का कहा जा रहा है। इससे महिला व बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली का भी पता चलता है। सूत्रों का कहना है कि विभाग के अधिकारी मंत्री के बार बार बदलते आदेश से खुश नहीं हैं। उधर लघु उद्योग निगम से आर्डर लेकर सप्लाई करने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें सभी के द्वारा प्रताडित किया जा रहा है। नाम उल्लेख न करने की शर्त पर एक पीडित व्यक्ति ने कहा कि आला अधिकारियों तथा नेताओं द्वारा अवैधानिक तरीके से प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे महिला व बालविकास विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है।
एलयूएन ने पत्र लिखा
मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम के प्रबंध संचालक एम गोपाल रेडडी ने महिला व बालविकास विभाग को पत्र लिखकर कार्यप्रणाली व निर्णय पर आपत्ति व्यक्त की है।

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