सागर जिले के विभिन्न भागों से काफी लंबे समय से कुओं व बोरवेल से गैस के रिसाव की खबरें आती रहीं हैं। देश का पेट्रोलियम विभाग भी अब इन खबरों को काफी गंभीरता से ले रहा है। हाल ही मे डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के भूगर्भ शास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ० एके शाडिल्य ने पेट्रोलियम विभाग के महानिदेशक के समक्ष बुंदेलखण्ड मे पेट्रोलियम गैस के भंडार के सिलसिले एक प्रस्तुति दी।
भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय के समक्ष डॉ शाडिल्य ने अपने 3 घण्टे लंबी प्रस्तुति मे बताया कि सागर जिले के दमोह, गढ़ाकोटा, खुरई, राहतगढ़ व पथरिया तहसील के दर्जनों कुओं व बोरवेल से गैस के रिसाव की घटनाएं सामने आंईं हैं।
इस प्रस्तुति को देखकर कर मंत्रालय के महानिदेशक ने कहा कि देश के हिमाचाल व असम प्रदेशों से भी ऐसे ही गैस के रिसाव की खबरें सामने आ रहीं हैं। लेकिन उन्होने बुंदेलखण्ड मे गैस के रिसाव की खबरों को नई खोज माना। श्री सिब्बल ने बताया कि बुंदेलखण्ड में विध्यांचल पर्वत श्रृंखला की 500 मिलियन साल पुरानी चट्टानों मे गैस के बड़ें भंण्डार मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इसी सिलसिले में डॉ० शाडिल्य ने बताया कि डॉ० सिब्बल ने आश्वासन दिया है कि इस क्षेत्र में एक्वीफायर की लंबाई, चौड़ाई एवं मोटाई को पता लगाने के लिए वे किसी ऐजेन्सी को डीप सांउण्डिंग सीस्मिक सर्वे करने के लिए लायसेंस देंगें एवं फिर से इसमें मिली गैस के नमूने एकत्र कर भू रासायनिक एवं स्टेवल आडसोटोपिक अध्ययन कर पूर्व मे पेश किए गए आंकड़ों की पुष्टि की जाएगी।
इस प्रस्तुति को देखकर कर मंत्रालय के महानिदेशक ने कहा कि देश के हिमाचाल व असम प्रदेशों से भी ऐसे ही गैस के रिसाव की खबरें सामने आ रहीं हैं। लेकिन उन्होने बुंदेलखण्ड मे गैस के रिसाव की खबरों को नई खोज माना। श्री सिब्बल ने बताया कि बुंदेलखण्ड में विध्यांचल पर्वत श्रृंखला की 500 मिलियन साल पुरानी चट्टानों मे गैस के बड़ें भंण्डार मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इसी सिलसिले में डॉ० शाडिल्य ने बताया कि डॉ० सिब्बल ने आश्वासन दिया है कि इस क्षेत्र में एक्वीफायर की लंबाई, चौड़ाई एवं मोटाई को पता लगाने के लिए वे किसी ऐजेन्सी को डीप सांउण्डिंग सीस्मिक सर्वे करने के लिए लायसेंस देंगें एवं फिर से इसमें मिली गैस के नमूने एकत्र कर भू रासायनिक एवं स्टेवल आडसोटोपिक अध्ययन कर पूर्व मे पेश किए गए आंकड़ों की पुष्टि की जाएगी।
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