वित्त विभाग की पाबंदियों के बावजूद शासकीय खरीद-फरोख्त करने के संबंध में जिला कलेक्टर ने सागर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित आठ लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं।
जिला कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी द्वारा जारी कारण बताओं नोटिस के सिलसिले में जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ० प्रमोद गोदरे, डॉ० एसएम सिरोठिया जिला मलेरिया अधिकारी, डॉ० डीके पिप्पल जिला क्षय अधिकारी, डॉ० ओपी गुप्ता जिला चिकित्सालय को 8 मई, कपिल पाराशर परियोजना प्रबंधक, राजेश राय जिला लेखा प्रबंधक को 15 मई व अरूण प्रजापति फार्मासिस्ट एवं आरपी सिंह लेखापाल कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सागर को अपने जवाब 12 मई 2009 तक पेश करने हैं।
जिला कलेक्टर द्वारा मप्र सिविल सेवा ' वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील ' नियम 1966 के नियम 10 ' 4' के तहत जारी नोटिस मे आरोपियों से पूछा गया है क्यों न उन्हें वेतन वृद्धियां आसंचयी प्रभाव से रोके जाने के दण्ड दण्डित किया जाए।
गौरतलब है कि भण्डार क्रय नियमों का पालन किए बिना तथा खरीदी पर वित्त विभाग का प्रतिबंध होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामग्री क्रय करने की शिकायतें प्राप्त होने पर सागर जिला कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी ने जिले के अपर कलेक्टर राजेश कौल से जांच कराई। श्री कौल के जांच प्रतिवेदन से इस बात का खुलासा हुआ है कि लघु उद्योग निगम के माध्यम से सामग्री न क्रय कर छोटे-छोटे टुकड़ों में स्वास्थ्य विभाग की क्रय समिति ने निविदा से दर प्राप्त कर क्रय की गई है।
बिना शासन अनुमति के 10 लाख 17 हजार रूपए मूल्य का फर्नीचर क्रय किया जाकर देयक कोषालय मे प्रस्तुत किए गए। जिसमें कोषालय अधिकारी सागर द्वारा अपात्ति दर्ज की गई। दर्ज आपत्ति का निराकरण न कर पाने से फर्नीचर मद का प्राप्त आवंटन का उपयोग न हो पाने से राशि लेप्स हो गई।
इसी क्रम में पोषण आहार केन्द्रों हेतु सामग्री एवं आहार 98 हजार 664 रूपए के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए क्रय किए गए हैं। आरसीएच कार्यक्रम के अंतर्गत उप स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए शासन द्वारा 20 हजार रूपए का प्रावधान किया गया था। इस राशि में से कार्यालय स्तर से प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्र की 10 हजार रूपए की राशि रोक कर एक डिलेवरी टेबिल, एक पलंग एवं गद्दा क्रय करने निर्णय लिया गया। यह सामग्री लघु उद्योग निगम के माध्यमे के स्थान पर सीधे सप्लायर आईटीबर्ड से क्रय की गई।
जिला कलेक्टर द्वारा मप्र सिविल सेवा ' वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील ' नियम 1966 के नियम 10 ' 4' के तहत जारी नोटिस मे आरोपियों से पूछा गया है क्यों न उन्हें वेतन वृद्धियां आसंचयी प्रभाव से रोके जाने के दण्ड दण्डित किया जाए।
गौरतलब है कि भण्डार क्रय नियमों का पालन किए बिना तथा खरीदी पर वित्त विभाग का प्रतिबंध होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामग्री क्रय करने की शिकायतें प्राप्त होने पर सागर जिला कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी ने जिले के अपर कलेक्टर राजेश कौल से जांच कराई। श्री कौल के जांच प्रतिवेदन से इस बात का खुलासा हुआ है कि लघु उद्योग निगम के माध्यम से सामग्री न क्रय कर छोटे-छोटे टुकड़ों में स्वास्थ्य विभाग की क्रय समिति ने निविदा से दर प्राप्त कर क्रय की गई है।
बिना शासन अनुमति के 10 लाख 17 हजार रूपए मूल्य का फर्नीचर क्रय किया जाकर देयक कोषालय मे प्रस्तुत किए गए। जिसमें कोषालय अधिकारी सागर द्वारा अपात्ति दर्ज की गई। दर्ज आपत्ति का निराकरण न कर पाने से फर्नीचर मद का प्राप्त आवंटन का उपयोग न हो पाने से राशि लेप्स हो गई।
इसी क्रम में पोषण आहार केन्द्रों हेतु सामग्री एवं आहार 98 हजार 664 रूपए के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थाओं के लिए क्रय किए गए हैं। आरसीएच कार्यक्रम के अंतर्गत उप स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए शासन द्वारा 20 हजार रूपए का प्रावधान किया गया था। इस राशि में से कार्यालय स्तर से प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्र की 10 हजार रूपए की राशि रोक कर एक डिलेवरी टेबिल, एक पलंग एवं गद्दा क्रय करने निर्णय लिया गया। यह सामग्री लघु उद्योग निगम के माध्यमे के स्थान पर सीधे सप्लायर आईटीबर्ड से क्रय की गई।
0 comments:
Post a Comment