निर्वाचन आयोग ने संवेदनशील मतदान केन्द्रों के संबंध में नये दिशानिर्देश जारी किये हैं। यह कार्रवाई तीन चरणों में पूर्ण की जायेगी।
आधिकारिक जानकारी में बताया गया है कि पहले चरण में गांव, मजरे, टोले, पारे तथा मौहल्ले में जातिगत तथा राजनैतिक प्रभुत्व के जरिये दबाव बनाने वाले लोगों की सूची बनायी जाएगी। दूसरे चरण में ऐसे व्यक्तियों की सूची बनेगी जो मतदाताओं को धमकी देकर उनमें भय पैदा करते हैं। तीसरे चरण में ऐसे व्यक्तियों की गतिविधियों को रोकने के लिए उठाये गये प्रतिबंधात्मक एवं निवारक कार्रवाई प्रारंभ की जाएगी। साथ ही इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत की जायेगी।
पहले चरण का कार्य प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के लिये जारी होने वाली अधिसूचना के पूर्व होगा। यदि किसी जिले अथवा लोकसभा क्षेत्र में कोई गांव, मजरे, टोले, पारे, मोहल्ले आदि संवेदनशील क्षेत्र के रूप में नहीं पाया गया तो संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी अपने अधीनस्थ टीमों, थाना, ब्लाक स्तरीय टीम एवं सब डिवीजनल के स्तर के टीम से उस संबंध में प्रमाणपत्र लेंगे।
इस प्रमाण-पत्र को अंतिम रूप से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के सम्मुख पेश किया जाएगा। जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा उक्त प्रमाण-पत्र अधिसूचना जारी होने के तीन दिन के भीतर मुख्यनिर्वाचन पदाधिकारी को अनिवार्यत: प्रस्तुत किया जायेगा। दूसरे चरण में संवेदनशील क्षेत्र बनाने के लिये जिम्मेदार व्यक्तियों के नाम, पते का विवरण मतदान केन्द्रवार तैयार होगा।
इन व्यवधानकर्ताओं के चयन करने की कार्रवाई भी अधिसूचना जारी होने के पांच दिन के भीतर पूर्ण करने के निर्देश दिये गये हैं।
इसके पश्चात जिला दंडाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक प्रतिबंधात्मक, निवारक कार्रवाई करेंगे और उच्च स्तर के अधिकारी संबंधित क्षेत्र में लोगों को विश्वास दिलाने के लिये संवेदनशील गांवों का भ्रमण भी करेंगे। जिसमें वे बैठकें लेकर व्यवधान उत्पन्न कराने वाले तत्वों को चेतावनी देने के साथ ही अलग से कार्रवाई भी करायेंगे। इसे प्रभावशील तरीके से करने के निर्देश जिला कलेक्टरों एवं जिला निर्वाचन अधिकारी, पुलिस अधीक्षकों को दिये गये हैं।
साथ ही व्यवधान उत्पन्न करने वाले व्यक्तियों पर कड़ी नजर तथा एक अधिकारी को संबंधित थाना स्तर पर कानून एवं व्यवस्था तथा शांतिपूर्वक चुनाव कराने के लिये नामांकित करने के भी निर्देश दिये गये हैं।
संवेदनशील क्षेत्र के लिये जिम्मेदार पुलिस अधिकारी का पद नाम एवं फोन, मोबाइल नंबर, अंकित करने को भी कहा गया है।
इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक संयुक्त रूप से गयी कार्रवाई का तथ्यात्मक प्रतिवेदन मतदान की तिथि से कम से कम 5 दिन पहले मुख्यनिर्वाचन पदाधिकारी को प्रस्तुत करेंगे। मध्यप्रदेश में 23 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिये यह तिथि 18 अप्रैल तथा 30 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिये 25 अप्रैल
होगी।
पहले चरण का कार्य प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के लिये जारी होने वाली अधिसूचना के पूर्व होगा। यदि किसी जिले अथवा लोकसभा क्षेत्र में कोई गांव, मजरे, टोले, पारे, मोहल्ले आदि संवेदनशील क्षेत्र के रूप में नहीं पाया गया तो संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी अपने अधीनस्थ टीमों, थाना, ब्लाक स्तरीय टीम एवं सब डिवीजनल के स्तर के टीम से उस संबंध में प्रमाणपत्र लेंगे।
इस प्रमाण-पत्र को अंतिम रूप से मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के सम्मुख पेश किया जाएगा। जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा उक्त प्रमाण-पत्र अधिसूचना जारी होने के तीन दिन के भीतर मुख्यनिर्वाचन पदाधिकारी को अनिवार्यत: प्रस्तुत किया जायेगा। दूसरे चरण में संवेदनशील क्षेत्र बनाने के लिये जिम्मेदार व्यक्तियों के नाम, पते का विवरण मतदान केन्द्रवार तैयार होगा।
इन व्यवधानकर्ताओं के चयन करने की कार्रवाई भी अधिसूचना जारी होने के पांच दिन के भीतर पूर्ण करने के निर्देश दिये गये हैं।
इसके पश्चात जिला दंडाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक प्रतिबंधात्मक, निवारक कार्रवाई करेंगे और उच्च स्तर के अधिकारी संबंधित क्षेत्र में लोगों को विश्वास दिलाने के लिये संवेदनशील गांवों का भ्रमण भी करेंगे। जिसमें वे बैठकें लेकर व्यवधान उत्पन्न कराने वाले तत्वों को चेतावनी देने के साथ ही अलग से कार्रवाई भी करायेंगे। इसे प्रभावशील तरीके से करने के निर्देश जिला कलेक्टरों एवं जिला निर्वाचन अधिकारी, पुलिस अधीक्षकों को दिये गये हैं।
साथ ही व्यवधान उत्पन्न करने वाले व्यक्तियों पर कड़ी नजर तथा एक अधिकारी को संबंधित थाना स्तर पर कानून एवं व्यवस्था तथा शांतिपूर्वक चुनाव कराने के लिये नामांकित करने के भी निर्देश दिये गये हैं।
संवेदनशील क्षेत्र के लिये जिम्मेदार पुलिस अधिकारी का पद नाम एवं फोन, मोबाइल नंबर, अंकित करने को भी कहा गया है।
इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक संयुक्त रूप से गयी कार्रवाई का तथ्यात्मक प्रतिवेदन मतदान की तिथि से कम से कम 5 दिन पहले मुख्यनिर्वाचन पदाधिकारी को प्रस्तुत करेंगे। मध्यप्रदेश में 23 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिये यह तिथि 18 अप्रैल तथा 30 अप्रैल को होने वाले मतदान के लिये 25 अप्रैल
होगी।
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