01 January 2009

मछुआरों ने सीखीं मछलीपालन की नईं तकनीकें...

मछली पालन खरीद-फरोख्त के काम धंधों से जुड़ों को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से सहकारिता विभाग द्वारा एक योजना के तहत उन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण दिलाया गया है।

इस सिलसिले में एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के सागर के महाप्रबंधक एमएम मालवीय ने बताया कि मछआ सहकारी समिति मर्यादित सागर एवं मत्स्य सहकारी समिति मर्यादित सुरखी के अध्यक्ष, प्रबंधक एवं सदस्यों के 10 सदस्यीय दल को व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिए सतना जिले के मैहर मे स्थित मत्स्य बीज प्रक्षेत्र पौण्डी, में भेजा गया।
परियोजना के विकास अधिकारी अनुराग राय के नेतृत्व मे तीन दिवसीय दौरे पर गए इस दल को पौण्डी प्रक्षेत्र के उपसंचालक व्ही डी शर्मा ने मछली की विभिन्न प्रजातियों- कॉमन कार्प, रोहू, मृगला आदि के पालन, हेचरी, रोग व उनके निदान, स्पान संचयन, विपणन के बारे मे प्रशिक्षण दिया।
परियोजा के बारे में श्री राय ने बताया कि प्रशिक्षण के तहत दौरे पर आए मछुआरों को उनके कल्याण के लिए सरकार द्वारा चलाईं जा रहीं विभिन्न योजनाओं - जन श्री बीमा योजना, बचत सह राहत योजना, मीनाक्षी योजना, दुर्घटना बीमा योजना का लाभ लेने के बारे मे भी विस्तार से बताया गया है।इस परियोजना के तहत मत्स्य समितियों के विकास के लिए अबतक 5 समितियों को 2 लाख 90 हजार रूपए की वित्तीय मदद मंजूर की जा चुकी है।
गौरतलब है कि मत्स्य बीज प्रक्षेत्र पौण्डी देश का सबसे बड़ा मछली बीज उत्पादन संयत्र हैं। संयत्र की क्षमता 25 करोड़ स्पान प्रतिवर्ष पैदा करने की है। यहां प्रशिक्षुओं को मत्स्य पालन से जुड़ी सभी तकनीकि पहलुओं से अवगत कराया जाता है।

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