गरीबों के कल्याण व उन्हें सस्ता खाद्यान्न मुहैया कराने के लिए चलाईं जा रहीं योजनाओं की उपलब्धियों की कागजों पर जितनी ऊंची इमारतों खड़ीं की जाती है। वो हकीकत में कितनी बौनी होतीं हीं इसी बात का अहसास कराने वाली एक मार्मिक घटना मंगलवार की दरमियानी रात सागर जिले के माल्थौन विकासखण्ड के एक गांव मे घटित हुई।
जिसमें विषाक्त मक्के की रोटी खाने से डबडेरा गांव के एक आदिवासी परिवार मे मां व उसके दो बच्चों की मौत हो गई। जबकि उसके दो और मासूम बच्चे भी भी जिला अस्पताल मे मौत से जूझ रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है की गले तक गरीबी मे डूबे इस परिवार के पास गरीबी रेखा की सूची मे भी शामिल नहीं है।
गांव के निवासी फूल सिंह अहिरवार के मुताबिक डबडेरा गांव रहने वाला रमेश आदिवासी अपने परिवार को छोड़ कर मजूदरी के लिए बीना गया हुआ था! उसकी पत्नी सुहागरानी भी परिवार का गुजारे करने मे मदद के लिए जंगल से लकडी बेचती थी। मंगलवार को वह पास के ही गांव बरोदिया मे लकड़ी बेचकर घर लौटते समय मिरगावली गांव के किराने की दुकान से दो किलों मक्का खरीद लाई। उसे पिसवाने के लिए गांव की बाबूलाल साहू की चक्की पर भेजा। इसी आटे की रोटी बनाकर रात मे उसने खुद व चारों बच्चों देशराज 6 वर्ष, धमेन्द्र 2 वर्ष, बेटी तलउ 9 वर्ष व प्रीति 5 वर्ष को खिलाई। लेकिन रोटी खाते ही पांचों की हालत बिगड़ने लगी। सभी को उल्टी दस्त होने लगें! लेकिन लेकिन परिवार का मुखिया रमेश घर पर नहीं था! रमेश के मां फूलरानी अपने पति थोबन के साथ गांव से कुछ दूर स्थित खेत मे बोई चना की फसल की रखवाली के लिए खेत पर रहते थे।
गांव के लोगों ने इनकी बिगड़ती हालात का पता लगने पर इन्हें ईलाज के लिए मुहैया कराने की कोशिश की लेकिन संसाधनों के अभाव मे समय पर ईलाज नहीं मिल सका व सुहागरानी 35 वर्ष व उसके दो बच्चों देशराज व तलउ की मौत गांव मे ही हो गई।
हादसे की खबर लगते ही रमेश की मां व पिता अन्य दो बच्चों को गंभीर हालात में सागर के शासकीय डफरित अस्पताल ले आए जहां वो अभी भी मौत से जूझ रहे हैं।बच्चों का इलाज कर रहे डॉक्टर आरएस जयंत के मुताबिक बच्चों की हालात अभी भी काफी गंभीर है।
इस घटना के सिलसिले में माल्थौन थाना प्रभारी एमएस यादव ने बताया कि चक्की वाले ने मक्का पिसवाने गई तलऊ को बताया कि आठे मे गंध आ रही है इसलिए आटे का इस्तेमाल नहीं करना। संभावना जताई जा रही थी कि इसमे कीटनाशक दवा मिली है। पुलिस ने इस मामले मे मर्ग कर कायम कर जांच शुरू कर दी है। इस संबंध मे आटा चक्की के मालिक के पिता को हिरासत मे लिया है।
जिसमें विषाक्त मक्के की रोटी खाने से डबडेरा गांव के एक आदिवासी परिवार मे मां व उसके दो बच्चों की मौत हो गई। जबकि उसके दो और मासूम बच्चे भी भी जिला अस्पताल मे मौत से जूझ रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है की गले तक गरीबी मे डूबे इस परिवार के पास गरीबी रेखा की सूची मे भी शामिल नहीं है।
गांव के निवासी फूल सिंह अहिरवार के मुताबिक डबडेरा गांव रहने वाला रमेश आदिवासी अपने परिवार को छोड़ कर मजूदरी के लिए बीना गया हुआ था! उसकी पत्नी सुहागरानी भी परिवार का गुजारे करने मे मदद के लिए जंगल से लकडी बेचती थी। मंगलवार को वह पास के ही गांव बरोदिया मे लकड़ी बेचकर घर लौटते समय मिरगावली गांव के किराने की दुकान से दो किलों मक्का खरीद लाई। उसे पिसवाने के लिए गांव की बाबूलाल साहू की चक्की पर भेजा। इसी आटे की रोटी बनाकर रात मे उसने खुद व चारों बच्चों देशराज 6 वर्ष, धमेन्द्र 2 वर्ष, बेटी तलउ 9 वर्ष व प्रीति 5 वर्ष को खिलाई। लेकिन रोटी खाते ही पांचों की हालत बिगड़ने लगी। सभी को उल्टी दस्त होने लगें! लेकिन लेकिन परिवार का मुखिया रमेश घर पर नहीं था! रमेश के मां फूलरानी अपने पति थोबन के साथ गांव से कुछ दूर स्थित खेत मे बोई चना की फसल की रखवाली के लिए खेत पर रहते थे।
गांव के लोगों ने इनकी बिगड़ती हालात का पता लगने पर इन्हें ईलाज के लिए मुहैया कराने की कोशिश की लेकिन संसाधनों के अभाव मे समय पर ईलाज नहीं मिल सका व सुहागरानी 35 वर्ष व उसके दो बच्चों देशराज व तलउ की मौत गांव मे ही हो गई।
हादसे की खबर लगते ही रमेश की मां व पिता अन्य दो बच्चों को गंभीर हालात में सागर के शासकीय डफरित अस्पताल ले आए जहां वो अभी भी मौत से जूझ रहे हैं।बच्चों का इलाज कर रहे डॉक्टर आरएस जयंत के मुताबिक बच्चों की हालात अभी भी काफी गंभीर है।
इस घटना के सिलसिले में माल्थौन थाना प्रभारी एमएस यादव ने बताया कि चक्की वाले ने मक्का पिसवाने गई तलऊ को बताया कि आठे मे गंध आ रही है इसलिए आटे का इस्तेमाल नहीं करना। संभावना जताई जा रही थी कि इसमे कीटनाशक दवा मिली है। पुलिस ने इस मामले मे मर्ग कर कायम कर जांच शुरू कर दी है। इस संबंध मे आटा चक्की के मालिक के पिता को हिरासत मे लिया है।
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