09 December 2008

जातीयता को 'गुडबॉय' व विकास को 'वेलकम'....

बुंदलेखण्ड में विधानसभा चुनाव 2008 के नतीजे काफी चौंकाने वाले रहे हैं। पिछले चुनावों में सागर जिले की आठों सीटों मे से 7 सीट कबाड़ने वाली भाजपा को इस बार महज 5 सीटों से संतोष करना पड़ा हे। जबकि 3 सीटें कांग्रेस ने जीत ली है। नतीजों ने अटकलबाजों द्वारा जातीय आधार पर बड़े पैमाने पर फेरबदल होने की संभावनाओं को एक सिरे से खारिज कर दिया हैं। बड़ी संख्या मे मतदान कर अपने मन की बात को किसी कहने से यह साफ होता जा रहा है कि उसने काफी पहले ही सरकार के पक्ष मे मतदान करने का मन बना लिया था। उस पर प्रत्याशियों के प्रलोभन दबाव का कोई खास असर भी नहीं पड़ा।

सागर जिले में मप्र के कृषि एवं सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव ने रहली विधानसभा से अपनी सीट सबसे ज्यादा अंतर 25 हजार 608 मतों के अंदर से जीती हैं। जबकि बंण्डा के कांग्रेस प्रत्याशी ने सबसे कम अंतर महज 1925 मतों कें अंतर से जीती है।
इसके अलावा सागर की सीट भाजपा के शैलेन्द्र जैन ने 20 हजार 851, बीना सीट भाजपा की डॉ० विनोद पंथी ने 6 हजार 405, नरयावली सीट भाजप के ही प्रदीप लारिया ने 14 हजार804 व देवरी सीट भाजपा के डॉ भानू राणा ने 11 हजार 505 के मतों के अंदर से जीतीं हैं।
कांग्रेस ने जिले की तीन सीटों पर पर कब्जा किया है उनमें खरई मे अरूणोदय चौबे ने अपने निकटतम प्रतिंद्वंदी भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता व प्रदेश महामंत्री भूपेन्द्र सिंह दांगी को 17 हजार 321 मतों के बड़े अंतर से , सुर्खी विधानसभा सीट में कांग्रेस के गोविन्द सिंह राजपूत ने भाजपा के राजेन्द्र सिंह मोकल पुर को 12 हजार 438 मतों के अंतर से व बण्डा में कांग्रेस के नारायण प्रजापति ने भाजपा के रामवृक्ष पाल को 1925 मतों के अंदर से हराया है।

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