मप्र मे राज्य परिवहन निगम को खत्म करने की राह आसान नजर नहीं आ रही है। मप्र उच्च न्यायालय ने परिवहन निगम के अधिकार क्षेत्र के 171 मार्गों के परमिटों को स्थायी रूप से निजी बस संचालकों को आवंटित किए जाने पर रोक लगा दी है।
अदालत ने कहा है कि इस मामले मे निगम पहले से ही बने अनुबंधकर्ता के आवेदन पर प्राथमिकता से विचार करे। इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले मे पहले से लंबित पड़ी सभी याचिकाओं की सुनवाई के लिए 10 दिसंबर 08 की तारीख तय कर दी है।
गौरतलब है कि फरियादी वीरेन्द्र साहू की याचिका पर सुनवाई करते हुए मप्र के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एके पटनायक और न्यायाधीश अजीत सिंह की खण्डपीठ ने यह रोक लगाई है।
राज्य शासन द्वारा राज्य परिवहन निगम के अधिकार क्षेत्र के 171 राष्ट्रीयकृत मार्गो को अराष्ट्रीयकृत करने की कोशिशों का कर्मचारी द्वारा शुरू से ही विरोध किए जाने की वजह से यह मामला अदालत के पाले में आया है।
अदालत ने कहा है कि इस मामले मे निगम पहले से ही बने अनुबंधकर्ता के आवेदन पर प्राथमिकता से विचार करे। इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले मे पहले से लंबित पड़ी सभी याचिकाओं की सुनवाई के लिए 10 दिसंबर 08 की तारीख तय कर दी है।
गौरतलब है कि फरियादी वीरेन्द्र साहू की याचिका पर सुनवाई करते हुए मप्र के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एके पटनायक और न्यायाधीश अजीत सिंह की खण्डपीठ ने यह रोक लगाई है।
राज्य शासन द्वारा राज्य परिवहन निगम के अधिकार क्षेत्र के 171 राष्ट्रीयकृत मार्गो को अराष्ट्रीयकृत करने की कोशिशों का कर्मचारी द्वारा शुरू से ही विरोध किए जाने की वजह से यह मामला अदालत के पाले में आया है।
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