मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उपयोगी सेवाओं से संबंधित विवादों के निराकरण के लिए प्रदेश के सात जिलों मे स्थाई लोक अदालतों का गठन किया है। इसी क्रम मे सागर मे स्थापित स्थाई लोक अदालत मे पीठासीन अधिकारी व अध्यक्ष जिला न्यायाधीश सत्येन्द्र सिंह को व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी व कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग को इस अदालत का सदस्य बनाया गया है। लोक अदालतों का गठन पक्षकारों को सस्ता, सुलभ व त्वरित इंसाफ दिलाने के मकसद से किया है।
इन अदालतों के कामकाज के बारे मे जिला विधिक सहायता अधिकारी एके श्रीवास्तक ने बताया कि वायु, सडक या जलमार्ग द्वारा परिवहन, डाकतार, टेलीफोन सेवा, जल व बिजली प्रदाय के अलावा बीमा, स्वास्थ्य व सार्वजनिक सफाई व्यवस्था से जुडी समस्याओं से जुडे विवादों इन अदालतों के दायरे मे आते हैं। कोई भी व्यक्ति लोक उपयोगी सेवाओं से जुडे विवाद जो न्यायालय मे प्रस्तुत नहीं किए गए हैं , निपटारे हेतु लोक अदालतो का सहारा ले सकता है। इन अदालतों मे 10 लाख से ज्यादा मूल्य के संपत्ति के विवाद पेश नहीं किए जा सकते हैं और न ही पक्षकार इन अदालतों मे आवेदन करने के बाद विवाद को अन्य अदालतों मे निपटारे हेतु पेश नहीं कर सकेगा।
स्थायी लोक अदालतें अपने निर्णय साक्ष्य विधानों व सीपीसी के दायरों से इतर कुदरती इंसाफ के सिद्धांत के आधार पर देंगीं। इनके निर्णय अंतिम होकर पक्षकारों पर बाध्यकारी और सिविल डिक्री की मान्यता रखेगा।
इन अदालतों के कामकाज के बारे मे जिला विधिक सहायता अधिकारी एके श्रीवास्तक ने बताया कि वायु, सडक या जलमार्ग द्वारा परिवहन, डाकतार, टेलीफोन सेवा, जल व बिजली प्रदाय के अलावा बीमा, स्वास्थ्य व सार्वजनिक सफाई व्यवस्था से जुडी समस्याओं से जुडे विवादों इन अदालतों के दायरे मे आते हैं। कोई भी व्यक्ति लोक उपयोगी सेवाओं से जुडे विवाद जो न्यायालय मे प्रस्तुत नहीं किए गए हैं , निपटारे हेतु लोक अदालतो का सहारा ले सकता है। इन अदालतों मे 10 लाख से ज्यादा मूल्य के संपत्ति के विवाद पेश नहीं किए जा सकते हैं और न ही पक्षकार इन अदालतों मे आवेदन करने के बाद विवाद को अन्य अदालतों मे निपटारे हेतु पेश नहीं कर सकेगा।
स्थायी लोक अदालतें अपने निर्णय साक्ष्य विधानों व सीपीसी के दायरों से इतर कुदरती इंसाफ के सिद्धांत के आधार पर देंगीं। इनके निर्णय अंतिम होकर पक्षकारों पर बाध्यकारी और सिविल डिक्री की मान्यता रखेगा।
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