17 December 2009

भ्रस्ताचार से त्रस्त जनता ने किन्नर को चुना महापौर

मप्र के नगरीय निकाय चुनाव २००९ मे सागर शहर की जनता ने सभी राजनैतिक दलों को ठेंगा दिखाते हुए एक निर्दलीय प्रत्याशी को भारी मतों से जिता दिया है। महापौर पद के चुनाव में निर्दलीय किन्नर प्रत्याशी के पक्ष मे सूनामी लहर से उठी जनसमर्थन की लहर के आगे दूसरे स्थान पर रही भाजपा को छोड़कर कांग्रेस सहित अन्य चार प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए हैं।

 सियासत के गलियारों मे निर्दलीय किन्नर प्रत्याशी कमला को मिली बडी जीत को जनता के दिलों मे सत्ताधारी दल सहित अन्य राजनैतिक दलों व पूर्व महापौर के कार्यकाल मैं हुए भ्रस्ताचार  के खिलाफ लंबे समय से खदबदा रहे आक्रोश की अभिव्यक्ति के रूप मे देखा जा रहा है।
प्रचार की शुरूआत के समय सभी राजनैतिक दलों खासतौर पर भाजपा व कांग्रेस ने इस प्रत्याशी को काफी हल्के से लिया थां लेकिन मतदान की तारीख करीब आने तक कमला बुआ के पक्ष मे बनी जनसमर्थन की लहर के तेवर देखकर सभी दलों के नेताओं के छक्के छूटते नजर आने लगे।
शहर भर मे यह चर्चा अभी भी किसी अबूझ पहेली की तरह घूम रही है कि कमला किन्नर ने न तो राजनैतिक दलों के समान मीडिया को पैकेज दिया है न ही शहर मे झण्डे -बैनर लगाए हैं और न ही रैलियां निकालीं है और न ही सघन जनसंपर्क किया फिर भी जनता के बीच किन्नर के पक्ष मे ही वोट देने की हवा क्यों परवान चढती  रही है? हालांकि सियासी पण्डित जनमत के इस ज्वार के कुछ राजनैतिक मायने तलाशने मे जुट गए हैं। चर्चा है कि उनके पहले निशाने पर राजनैतिक दलों की अंतर्कलह व भितरघाती ही है।
सागर नगर निगम के महापौर पद के लिए हुए चुनाव लिए छह प्रत्याशियों मैदान मे उतरे थे। शहर मे कुल एक लाख ७ हजार ७८६ मतदाओं ने अपने वोट दिए। इनमें से करीब ६५ फीसदी मतदाताओं ने निर्दलीय प्रत्याशी कमला बुआ के चुनाव चिन्ह चाबी पर अपना वोट डाला। जबकि अन्य पांच प्रत्याशियों को शेष ३५ फीसदी मत ही मिल सके। कमला बुआ ने अपने निकटतम प्रत्याशी भाजपा की सुमन अहिरवार को ४३ हजार ४३३ मतों से हराया है।
जिला निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक सागर नगर निगम के महापौर पद के प्रत्याशियों मे से निर्दलीय किन्नर प्रत्याशी कमला बुआ को सबसे ज्यादा ६४ हजार ६८३, भाजपा प्रत्याशी सुमन डॉ० अशोक अहिरवार को २१ हजार २५०, कांग्रेस प्रत्याशी रेखा चौधरी को ११ हजार ७९९, बसपा प्रत्याशी किरण जाटव को १५७४, जन न्यायदल प्रत्याशी अनीता शाक्य को ४५४ व एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशिय कमला बाई को १८८८ मत मिले।
सागर नगर निगम के नवनिर्वाचित महापौर किन्नर कमला बुआ ने अपनी जीत के बाद ''भाषा'' के साथ विशेष बातचीत मे बताया कि उनकी जीत जनता की जीत है। जनता सभी दलों से बुरी तरह त्रस्त हो चुकी थी। इसीलिए उसने तीसरा विकल्प चुना।
 कमला बुआ के मुताबिक न तो उन्होने बैनर-झण्डे लगवाए, न ही रैली निकाली और न ही मतदान केन्द्रों मे चुनाव ऐजेण्ट बैठाए ये तमाम जिम्मेदारियां ने जनता ने खुद ही संभाली, '' बिन्ना से न भाभी से निगम का ताला खुलेगा चाबी से'' जैसे नारे भी उसी ने  बनाए, उसी ने प्रचार किया और उन्हें जिता दिया।
सागर की पहली किन्नर महापौर ५४ वर्षीय कमला किन्नर अपने जन्म व परिवार के बारे मे कुछ नहीं बताती हैं पर उनका कहना है कि मेरी पहचान मेरे गुरूओं से है जिनके शरण मे मुझे चार साल की उम्र मे भेज दिया गया था। रक्त संबंधी भाई बंधुओं से मेरा कोई नता नहीं है । उन्हों ने दुनिया के अच्छे बुरे पहलुओं को काफी करीब से देखा है। एक किन्नर के रूप मे काफी उपेक्षा व कष्ट भी सहा है।
हिन्दी के अलावा पंजाबी गुजराती, मराठी, सिंधी भाषा जानने वाली किन्नर जीवन के बारे मे उन्होने कहा कि वो हरदम ईश्वर से प्रार्थना करतीं हैं कि भगवान किसी की जिन्दगी मे किन्नर जीवन न लिखे या फिर किन्नर को जन्म देनें वालों को अपनी संतान को स्वीकारने का साहस दें। उनका कहना है कि महापौर के रूप में ऐसे काम करूगीं ताकि मुझे अगले जन्म मे किन्नर न बनना पड़ें।
नगरीय निकायों मे व्याप्त भ्रष्टाचार से जुड े सवाल के जवाब मे कमला बुआ ने कहा कि उन्हें न तो पैसे का मोह है और न ही परिवार का। भगवान की कृपा से उनके पास खूब संपत्ति है व सारा शहर ही उनका परिवार है।उन्होने कहा कि वो भगवान से हमेशा यही प्रार्थना करतीं कि भ्रष्ट बनने से पहले उन्हें मौत आ जाए।
किसी भी राजनैतिक दल से जुडे नहीं होने पर शहर के विकास के लिए संसाधन जुटाने के सवाल पर उन्होने कहा कि विकास अगर राजनैतिक दलों की दम पर होना होता तो शहर की ऐसी दुर्दशा नहीं होती। कितने दल आए और चले गए। शहर वहीं का वहीं है। विकास के लिए जज्बे की जरूरत है और वह हमारे पास है। उन्होने कहा  कि शहर के बुद्भिजीवियों-सेवानिवृत न्यायाधीशों, वकील, डाक्टर, समाजसेवी, पत्रकार, दार्शनिकों व धर्मगुरूओं की एक समिति बनाई जाएगी जिसके मार्गदर्शन मे ही वो काम करेंगीं।
जहां तक पैसे की बात है तो कोई भी राजनैतिक दल जनता की ताकत से ज्यादा ताकतवर नहीं होता है अगर जनता मांग करेगी तो विकास के लिए राज्य व केन्द्र सरकारों को पैसा देना ही पड ेगा। उन्होने कहा कि  वो किसी की कठपुतली बनकर नहीं रहेंगीं। जिस शहर का नमक खाया है उससे बेइमानी नहीं करूगीं।

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