
प्रदेश के सबसे बडे-सागर, दमोह व नरसिंहपुर जिले के सीमाओं में ११९७ वर्गकिमी मे फैले-नौरादेही अभ्यारण की सिंगपुर और मोहाली रेंज की सीमा मे स्थित पेट्रोलिंग कैंप से सटे जंगल मे वन कर्मचारियों ने बाघ को देखा जो अपने शिकार भैंसे को खाने मे व्यस्त था। वनकर्मियों ने करीब तीन घण्टे तक यह नजारा देखा।
नौरादेही अभ्यारण के एसडीओ नरेन्द्र सिंह व पेट्रोलियम केम्प पर ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों द्वारा बाघ दिखने की पुष्टि करने के बाद नौरादेही अभ्यारण मे बाघ नहीं होने की अटकलों पर विराम लग गया है।
नौरादेह अभयारण के कार्यालय के मुताबिक विभाग को जंगल मे नाले के पास बाघ होने की सूचना खपराखेड ा गांव की महिलाओं ने दी। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे वनकर्मियों ने करीब तीन घण्टे तक बाघ पर नजर रखी। बाघ के जाने के बाद उन्होने नाले व टीले के आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण किया। जहां उन्हें मरा हुआ भैंसा मिला जिसका पुठ्ठे का मांस गायब था। साथ ही जमीन पर बाघ द्वारा शिकार को घसीटने और उसके पंजो के निशान मिले। इस मौके पर कर्मचारियों ने बाघ के पगमार्क का प्लास्टर कास्ट तैयार किया व उसके यूरिन के नमूने को भी इकट्ठा किया।
इस सिलसिले नौरादेही अभ्यारण के डीएफओ आर एस सिकरवार ने पीटीआई को बताया कि दिसंबर व जनवरी २००८ मे विभाग द्वारा की गई जनगणना मे नौरादेही अभ्यारण में पांच बाघ होने की खबर है उनमे से तीन की पुष्टि हो चुकी है जबकि बाकी दो के हमें साक्ष्य मिले हैं।
अभ्यारण मे बाघ से दिखने से उत्साहित डीएफओ सिकरवार ने बताया कि अभ्यारण मे बाघ दिखने का श्रेय अभ्यारण मे जलस्रोतों के संरक्षण के लिए पिछले डेढ़ साल से किए जा रहे प्रयासों को जाता है। इन प्रयासों के चलते जंगली जानवर जंगल मे ही बने रहे शहरों की ओर या दूसरे क्षेत्रों को नहीं भागे। ये ही जलस्रोत-तालाब, पोखर व जंगली जानवर बाघ को यहां खींच लाए।
नौरादेही मे दिखे बाघ को पन्ना का गायब बाघ बताने की अटकलों को विराम लगाते हुए सिकरवार ने कहा कि यह बाघ पूर्णतः स्थानीय है। पन्ना से हमारा कोई लिंक नहीं है।
नौरादेही अभ्यारण के एसडीओ नरेन्द्र सिंह व पेट्रोलियम केम्प पर ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों द्वारा बाघ दिखने की पुष्टि करने के बाद नौरादेही अभ्यारण मे बाघ नहीं होने की अटकलों पर विराम लग गया है।
नौरादेह अभयारण के कार्यालय के मुताबिक विभाग को जंगल मे नाले के पास बाघ होने की सूचना खपराखेड ा गांव की महिलाओं ने दी। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे वनकर्मियों ने करीब तीन घण्टे तक बाघ पर नजर रखी। बाघ के जाने के बाद उन्होने नाले व टीले के आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण किया। जहां उन्हें मरा हुआ भैंसा मिला जिसका पुठ्ठे का मांस गायब था। साथ ही जमीन पर बाघ द्वारा शिकार को घसीटने और उसके पंजो के निशान मिले। इस मौके पर कर्मचारियों ने बाघ के पगमार्क का प्लास्टर कास्ट तैयार किया व उसके यूरिन के नमूने को भी इकट्ठा किया।
इस सिलसिले नौरादेही अभ्यारण के डीएफओ आर एस सिकरवार ने पीटीआई को बताया कि दिसंबर व जनवरी २००८ मे विभाग द्वारा की गई जनगणना मे नौरादेही अभ्यारण में पांच बाघ होने की खबर है उनमे से तीन की पुष्टि हो चुकी है जबकि बाकी दो के हमें साक्ष्य मिले हैं।
अभ्यारण मे बाघ से दिखने से उत्साहित डीएफओ सिकरवार ने बताया कि अभ्यारण मे बाघ दिखने का श्रेय अभ्यारण मे जलस्रोतों के संरक्षण के लिए पिछले डेढ़ साल से किए जा रहे प्रयासों को जाता है। इन प्रयासों के चलते जंगली जानवर जंगल मे ही बने रहे शहरों की ओर या दूसरे क्षेत्रों को नहीं भागे। ये ही जलस्रोत-तालाब, पोखर व जंगली जानवर बाघ को यहां खींच लाए।
नौरादेही मे दिखे बाघ को पन्ना का गायब बाघ बताने की अटकलों को विराम लगाते हुए सिकरवार ने कहा कि यह बाघ पूर्णतः स्थानीय है। पन्ना से हमारा कोई लिंक नहीं है।
0 comments:
Post a Comment