लोकसभा चुनाव खर्च के मामले में झांसेबाजी रोकने के लिए चुनाव आयोग ने निर्वाचन कार्य में लगे अमले को डमी उम्मीदवारों पर कड़ी नजर रखने की हिदायत दी है।
मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार आयोग ने यह कदम इस फीडबैक के आधार पर उठाया है कि चुनाव खर्च सीमा के मामले में झांसा देने तथा अपने उम्मीदवार के हित साधन के लिए विभिन्न राजनीतिक दल डमी उम्मीदवार खड़े कर देते हैं।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव कानून में डमी उम्मीदवार का कोई उल्लेख नहीं है। जिस भी उम्मीदवार का वैध नामांकन होता है और वह मैदान में डटा रहता है, तो वह उम्मीदवार है। संजीदा उम्मीदवार और डमी उम्मीदवार जैसा कोई भेद नहीं है।
आमतौर पर राजनीतिक दल डमी उम्मीदवार अनेक कारणों से खडे़ करते हैं। डमी उम्मीदवार के नाम से प्राप्त वाहन अनुमति का उपयोग वास्तव में किसी अन्य उम्मीदवार के प्रचार के लिए किया जाता है, ताकि खर्च सीमा के मामले में झांसा दिया जा सके। चुनाव आयोग को मिले फीडबैक में कहा गया है कि मतदान के दिन डमी उम्मीदवार तथा उसके चुनाव एजेंट एवं अन्य लोगों के लिए जिन वाहनों की अनुमति दी जाती है, उनका उपयोग वास्तव में किसी अन्य उम्मीदवार के लिए किया जाता है।
डमी उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट और काउंटिंग एजेंट वास्तव में किसी अन्य उम्मीदवार के लिए काम करते हैं। यह सब चुनाव कानून के विधिक प्रावधानों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
इसे रोकने के लिए चुनाव आयोग ने निर्देश दिए हैं कि डमी उम्मीदवार की जानकारी मिलते ही प्रशासन द्वारा सभी मैदानी कर्मचारियों को सतर्क कर दिया जाए और डमी उम्मीदवार के प्रचार कार्य और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों की वीडियो रिकार्डिग कराई जाए।
इसके बाद उम्मीदवार को नोटिस जारी किया जाए। साथ ही डमी उम्मीदवार को प्रचार के लिए दी गई वाहन की अनुमति और उसके वास्तविक उपयोग की समीक्षा की जाए। इस प्रक्रिया में प्रेक्षक की प्रभावी भूमिका होगी। चुनाव आयोग के निर्देशों में डमी उम्मीदवार के बारे में मिले फीडबैक के आधार पर निर्वाचन कार्य से जुड़े अमले से कहा गया है कि वाहन का दुरुपयोग सिद्ध हो जाने पर रिटर्निग अफसर द्वारा की गई समीक्षा के आधार पर वाहन अनुमति वापस ली जा सकती है।
कानूनन किसी उम्मीदवार का एक पोलिंग एजेंट और दो रिलीविंग एजेंट हो सकते हैं। डमी उम्मीदवारों द्वारा पोलिंग एजेंटों की नियुक्ति पर भी कड़ी नजर रखी जाए। संबंधित मतदान केन्द्रों पर माइक्रो पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जाएगी और वीडियो कैमरा लगाकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जाएगी।
इसके अलावा डमी उम्मीदवार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 171-एच के तहत तत्काल मामला भी दर्ज किया जाएगा। उम्मीदवार द्वारा प्राधिकृत किए बिना किसी भी तरह से खर्च बढ़ाना इस धारा के तहत अपराध है।
निर्देशों में कहा गया है कि रिटर्निग अफसर अथवा पर्यवेक्षक द्वारा उस उम्मीदवार को नोटिस दिया जाएगा, जिसके पक्ष में डमी उम्मीदवार को काम करते पाया जाता है तथा उससे कहा जाएगा कि डमी उम्मीदवार द्वारा किए गए खर्च को वह अपने चुनावी खर्च में शामिल करे।
02 April 2009
डमी उम्मीदवारों पर रहेगी आयोग की कड़ी नजर ..
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LS ELECTION 2009
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