अमेरिका के वेनेजुएला के स्थापित पीठाधीश्वर ऑफ अमेरिका की गद्दी के पहले विदेशी शंकराचार्य होगें अमेरिका के ही निवासी ओसमन ओसारों स्वामी आत्मानंद। वे जल्दी ही यह जिम्मेदारी संभालेंगें। इस पीठ की स्थापना करने वाले उनके गुरू शंकाराचार्य स्वामी शिवानंद सरस्वती महाराज ने उन्हें उपना उत्ताराधिकारी बनाकर बाकयदा पावर आफॅ एटार्नी और दंड सौंपकर शंकराचार्य की जिम्मेदारी दी हैं।
ब्रम्हलीन जगद गुरू शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती महाराज ज्यातिर्मठ बद्रिकाश्रम एवं जगद गुरू शंकाराचार्य स्वामी विष्णु देवानंद सरस्वती महाराज के शिष्य स्वामी शिवानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि उज्जैन कुंभ के दौरान ही अमेरिका मे भारत के अध्यात्म और भक्ति को प्रवाहित करने का अनुरोध किया गया।
अमेरिका जाने पर स्वामी ने स्थानीय भक्तों के सहयोग से वेनुजुएला मे पीठाधीश्वर आफॅ अमेरिका पीठ की स्थापना की। जल्द ही पीठ के तहत अमेरिका आठ और आश्रम स्थापित हो गए। वेनुजुएला, पनामा, कोस्टारिका, कोलंबिया,यूएसए सेंन्ट्रल आदि स्थानों पर स्थापित इन आश्रमों में बड़ी संख्या मे लोग आकर भक्ति मे लीन होने लगे।
करीब दो साल पहले भारत लौटे स्वामी जी के अमेरिका मे 500 से ज्यादा शिष्य हैं। उन्होने बताया कि गिरते स्वास्थ्य की वजह से वो वापस अमेरिका जाने मे सक्षम नहीं हैं इसीलिए अमेरिका मे ही रहने वाले अपने प्रिय शिष्य ओसमन ओसारयों को उन्होने अपना उत्तराधिकारी बनाया है। नवनियुक्त शंकराचार्य ने भारतीय दर्शन, हिन्दू धर्म की बारीकियां व धार्मिक ग्रंथ रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद व पुराण का अध्ययन स्वामी जी के सानिध्य मे ही किया है। श्री ओसारियो ने बताया कि वे अमेरिका मे भारतीय दर्शन व अध्यात्म के प्रसार के लिए ताउम्र काम करेंगें।
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