06 February 2009

शोषण रहित समाज बनाना चाहते थे बाबूजी- जस्टिस गुप्ता

विद्या ऐसा धन है जिससे राष्ट्र का निर्माण होता है। सागर मे ऐसे ही विद्या के मंदिर की स्थापना के लिए डॉ० हरिसिंह गौर ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया था। इस मंदिर को देखकर सागर को तीर्थ स्थल ही कहा जाएगा। यह बात मानव अधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष व न्यायाधीश गुलाब गुप्ता ने व्यक्त किए। वे स्व० बाबूराव पिंपलापुरे की 6 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित ' अनुपस्थिति की उपस्थिति' स्व० पिंपलापुरे व्याख्यानमाला में बोल रहे थे।

श्री गुप्ता ने स्व० पिंपलापुरे से हुई पहली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि उनसे मिलकर ऐसा लगा जैसे राष्ट्र का चिंतक बोल रहा हो। उनके व्यक्तिव को अगर कुछ शब्दों मे बांधा जाए तो बस यही कहा जा सकता था कि वे शोषण मुक्त स्वस्थ समाज का लक्ष्य रखने वाले थे।अपने उद्बोधन मे उन्होने मानव अधिकार शब्द की परिभाषा उसके दायरे, इस मुद्दे पर सयुंक्त राष्ट्र संघ की भूमिका व मुबंई में हुए आतंकी हमलें पर काफी विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम का संचालन प्रो० सुरेश आचार्य व अध्यक्षता एसके सचदेवा ने की। आभार डॉ० मीना पिंपलापुरे ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ० बीएस ठाकुर, विष्णु आर्य, डॉ० राजेन्द्र चौउदा, न्यायाधीश, डॉ० आराधना चौबे सहित बड़ी संख्या मे नगरवासी शामिल हुए।

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