मप्र के सबसे बढ़े अभ्यारण नौरादेही में बाघ होने के चर्चे तो हैं पर वह नजर नहीं आ रहा है। सागर, नरसिंहपुर व दमोह जिलों की सीमा मे 1134 वर्ग किलामीटर क्षेत्र मे फैले इस अभ्यारण मे 6 वर्ष पहले हुई वन्य प्राणियों की गणना में मिले पग मार्गों के आधार पर 16 बाघों के होने के प्रमाण मिले थे। जबकि इसके दो साल बाद राष्ट्रीय वन्य प्राणी केन्द्र देहरादून ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर केवल सिर्फ चार बाघों की मौजूदगी की पुष्टि की।
पर आश्यचर्य की बात हे कि पिछले दो सालों से इस क्षेत्र मे ग्रामीणों को न तो कभी शेर की दहाड़ ही सुनाई पड़ी है और न ही कहीं पगमार्क नजर आए हैं। इस क्षेत्र के ही एक गांव भरई की निवासी सियारानी आदिवासी बताती हैं कि तीन साल पहले तक वो रात मे जानवरों को बाघ के भय से घर के बाहर नहीं बांधती थी। लेकिन पिछले तीन साल मे यहां बाघ की गर्जना भी नहीं सुनाई दी।
पर आश्यचर्य की बात हे कि पिछले दो सालों से इस क्षेत्र मे ग्रामीणों को न तो कभी शेर की दहाड़ ही सुनाई पड़ी है और न ही कहीं पगमार्क नजर आए हैं। इस क्षेत्र के ही एक गांव भरई की निवासी सियारानी आदिवासी बताती हैं कि तीन साल पहले तक वो रात मे जानवरों को बाघ के भय से घर के बाहर नहीं बांधती थी। लेकिन पिछले तीन साल मे यहां बाघ की गर्जना भी नहीं सुनाई दी।
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