बुंदेलखण्ड मे इस वर्ष हुई रिकार्ड बारिश के बावजूद सागर जिले को जल-अभावग्रस्त घोषित किया गया है। इसके चलते अब जिले भर के जल स्रोतों से सीधे पानी निकाल कर सिंचाईं व व्यवसायिक प्रयोजनों के लिए उपयोग मे नही लाया जा सकेगा।
इस सिलसिले मे जिला कलेक्टर हीरालाल त्रिवेदी ने बताया कि विभिन्न शासकीय विभागों के अधिकारियों द्वारा पेश प्रतिवेदनों और स्वयं के भ्रमण कर नदी-नालों के हालात देखने पर पाया कि भू-गर्भीय एवं बाहर जल स्रोतों मे बहुत कम पानी बचा है। इससे बुंदेलखण्ड क्षेत्र मे गंभीर पेयजल संकट की आशंका है।
इस लिहाज से मौजूदा पेयजल स्रोतों मे पेयजल का स्तर बनाए रखने के मकसद से मप्र के पेयजल परक्षिण अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत सागर जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है। इस आदेश के प्रभावी होते ही जल स्रोतों से सिंचाई व वाणिज्यिक उपयोग के लिए सीधे ही पानी लेने पर प्रतिबंध लागू हो गया है।
श्री त्रिवेदी ने क्षेत्र की संपूर्ण समीक्षा के बाद लोकहित मे घरेलू प्रयोजन के लिए जनता के लिए जल की आपूर्ति बनाए रखने, जल स्तर बढ़ाने व जल का समान वितरण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी समस्त अनुविभागीय को दी गई है। निदेशों मे कहा गया है कि इस आदेश का उल्लंघन किए जाने पर धारा 9 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। यह प्रतिबंधात्मक आदेश 15 जुलाई 2009 तक लागू रहेगा।
इस लिहाज से मौजूदा पेयजल स्रोतों मे पेयजल का स्तर बनाए रखने के मकसद से मप्र के पेयजल परक्षिण अधिनियम 1986 की धारा 3 के तहत सागर जिले को जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है। इस आदेश के प्रभावी होते ही जल स्रोतों से सिंचाई व वाणिज्यिक उपयोग के लिए सीधे ही पानी लेने पर प्रतिबंध लागू हो गया है।
श्री त्रिवेदी ने क्षेत्र की संपूर्ण समीक्षा के बाद लोकहित मे घरेलू प्रयोजन के लिए जनता के लिए जल की आपूर्ति बनाए रखने, जल स्तर बढ़ाने व जल का समान वितरण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी समस्त अनुविभागीय को दी गई है। निदेशों मे कहा गया है कि इस आदेश का उल्लंघन किए जाने पर धारा 9 के तहत दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी। यह प्रतिबंधात्मक आदेश 15 जुलाई 2009 तक लागू रहेगा।
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