देश भर मे कैंसर से पीड़ित मरीजों मे सबसे ज्यादा संख्या मप्र के मरीजों की है। मप्र के कैंसर से पीड़ित मरीजों मे से 20 से 25 फीसदी मुख कैंसर से, 12 से 15 फीसदी स्तन कैंसर से व 5 से 7 फीसदी गर्भाशय कैंसर से पीड़ित है। यह जानकारी रविवार को सागर के जिला चिकित्सालय मे आयोजित मुफ्त कैंसर एवं परीक्षण शिविर मे शमिल होने आए कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, भोपाल के निदेशक डॉ केवी पंडया ने दी।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की सागर जिले शखा द्वारा जवाहर लाला नेहरू कैंसर हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, भोपाल के सहयोग से आयोजित इस कैंसर परीक्षण मे शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से आए करीब 150 स्त्री- पुरूषों का परीक्षण किया गया।
परीक्षण के दौरान सबसे पुरूषों मे सबसे ज्यादा मरीज मुंह के रोगों के व महिलाओ मे गर्भाशय व स्तन रोगों से जुडे पाए गए । इस सिलसिले मे परीक्षण कर रहे चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ0 आरके पाण्डे व डॉ नीलू महरोत्रा ने बताया की मरीज जागरूकता के अभाव मे जांच नहीं कराते हैं। रोग के अंतिम अवस्था में पहुंच जाता है तब न केवल इसके उपचार मे ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है बल्कि रोग के ठीक होने की संभावनाएं भी कम हो जशतीं हैं।
कैंसर रोग के उपचार की विधियों के बारे मे चर्चा करते हुए जवाहरलाल नेहरू कैंसर हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर भोपाल के अध्यक्ष मदनमोहन जोशी ने बताया कि कैंसर को लेकर भय का मनोविज्ञान पैदा हो गया है। इस डर से मरीजों को उबारना पहली जरूरत है। कैंसर के उपचार के लिए वर्तमान मे रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, सर्जरी और पेलिएटिव केयर पद्धतियों का प्रयोग किया जा रहा है। श्री जोशी ने बताया कि भोपाल के कैंसर हास्पिटल मे मे हर साल 500 से ज्यादा मरीज आते हैं। जिनमें से 50 फीसदी रोग की अंतिम अवस्था के होते हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की सागर जिले शखा द्वारा जवाहर लाला नेहरू कैंसर हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, भोपाल के सहयोग से आयोजित इस कैंसर परीक्षण मे शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से आए करीब 150 स्त्री- पुरूषों का परीक्षण किया गया।
परीक्षण के दौरान सबसे पुरूषों मे सबसे ज्यादा मरीज मुंह के रोगों के व महिलाओ मे गर्भाशय व स्तन रोगों से जुडे पाए गए । इस सिलसिले मे परीक्षण कर रहे चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ0 आरके पाण्डे व डॉ नीलू महरोत्रा ने बताया की मरीज जागरूकता के अभाव मे जांच नहीं कराते हैं। रोग के अंतिम अवस्था में पहुंच जाता है तब न केवल इसके उपचार मे ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है बल्कि रोग के ठीक होने की संभावनाएं भी कम हो जशतीं हैं।
कैंसर रोग के उपचार की विधियों के बारे मे चर्चा करते हुए जवाहरलाल नेहरू कैंसर हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर भोपाल के अध्यक्ष मदनमोहन जोशी ने बताया कि कैंसर को लेकर भय का मनोविज्ञान पैदा हो गया है। इस डर से मरीजों को उबारना पहली जरूरत है। कैंसर के उपचार के लिए वर्तमान मे रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी, सर्जरी और पेलिएटिव केयर पद्धतियों का प्रयोग किया जा रहा है। श्री जोशी ने बताया कि भोपाल के कैंसर हास्पिटल मे मे हर साल 500 से ज्यादा मरीज आते हैं। जिनमें से 50 फीसदी रोग की अंतिम अवस्था के होते हैं।
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