14 October 2009

ठंडी पड़ी पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग

सागर।भाषा मध्यप्रदेश का विभाजन कर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनाए जाने की मांग पूरी होने के बाद लगा था, कि एक बार फिर मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश का विभाजन कर पृथक बुंदेलखंड राज्य बनाने की आजादी के समय से चली आ रही मांग जोर पकड़ेगी। लेकिन यह जनआंदोलन तेज नहीं हो पाया। बहरहाल, ठंडी पड़ चुकी पृथक बुंदेलखंड की मांग को पुनर्जीवित करने के प्रयास जारी हैं।
बुंदलेखंड मुक्ति मोर्चा संयोजक एवं प्रख्यात फिल्म अभिनेता राजा बुंदेला कहते हैं कि अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर नींव तो देश की आजादी के समय ही पड़ गई थी, जब बुंदेलखंड एवं बघेलखंड की लगभग तीन दर्जन रियासतों के प्रमुखों ने 'संयुक्त विन्ध्यप्रदेश' राज्य गठन को लेकर केन्द्र सरकार के तत्कालीन सचिव वी.पी. मेनन के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
बुंदेला बताते हैं कि पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर क्षेत्रीय जनता को जागरूक बनाने के इरादे से उन्होंने 'बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा' की जनजागरण यात्रा सात अक्तूबर को प्रदेश के दतिया जिले की पीतांबरा पीठ मंदिर से शुरू की है। यह यात्रा 15 अक्तूबर को भोपाल पहुंच कर पूरी होगी। यह जनजागरण यात्रा कल सागर पहुंची है। बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा संयोजक बुंदेला ने बताया ''प्रस्तावित बुंदेलखंड राज्य की अलग से कोई राजनीतिक सीमाओं का निर्धारण मोर्चा ने नहीं किया है। उनकी नजर में तो महाराजा छत्रसाल के समय के बुंदेलखंड को ही पृथक बुंदेलखंड का दर्जा दिया जाना चाहिए''।
उन्होंने कहा कि महाराजा छत्रसाल के दौर में बुंदेलखंड राज्य में 44 परगना और 11,655 गांव थे, जिससे तत्कालीन मुद्रा की लगभग दो करोड़ रुपए की राशि लगान के रूप में प्राप्त होती थी।
बुंदेला के अनुसार, मौजूदा समय में भी लगभग पांच करोड़ की आबादी वाला बुंदेलखंड क्षेत्र पिछड़ा होने के बावजूद प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है।
मोर्चा के संयोजक ने कहा कि इस अंचल में एक अलग राज्य के रूप में पलने-बढ़ने के लिहाज पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं। यहां एक ओर लगभग 40 फीसदी भूमि कृषि योग्य है, वहीं सोना, चांदी, हीरा, लोहा, राक फास्फेट, ग्रेनाइट, लाइम स्टोन जैसे खनिजों का भंडार है। बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा संयोजक ने कहा कि इस अचंल में खजुराहो, पन्ना, ओरछा, चित्रकूट, चंदेरी, कलिंजर, महोबा, देवगढ़ जैसे पर्यटन स्थल हैं। हजारों एकड़ भू-भाग में फैले वनों में असंख्य जड़ी-बूटियां हैं। सिंचाई के लिए यमुना, बेतवा, टोंस, धसान, चंबल, सिंध, केन जैसी नदियां और बिजली पैदा करने के लिए परीछा, माताटीला, राजघाट जैसे बांध हैं।
बुंदेला ने कहा कि 16 दिसंबर से मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश राज्यों की सीमा पर स्थित चित्रकूट से पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर मोर्चा एक पैदल यात्रा निकाल रहा है, जो लगभग 170 किलोमीटर का फासला तय कर 30 दिसंबर को खजुराहो में समाप्त होगी।
उन्होंने दावा किया कि इस यात्रा में मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री डा. रामकृष्ण कुसमरिया, भारतीय जनशक्ति पार्टी की अध्यक्ष उमा भारती, समाजवादी पार्टी की उत्तरप्रदेश इकाई के नेता हरगोविंद कुशवाहा और भारतीय जनता पार्टी से हाल ही निष्कासित इस अंचल के वरिष्ठ नेता अखंड प्रताप सिंह के शामिल होने की स्वीकृति मिल गई है।

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