21 September 2008

आंकलित खपत के नाम पर बिजली विभाग की वसूली अवैध घोषित...

प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओ के लिए राहत देने वाली खबर है। बिजली नियामक आयोग ने प्रदेश की सभी बिजली वितरण कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं के मीटर द्वारा बताई जाने वाली खपत के अलावा आंकलित खपत के रूप मे वर्षो से की जा रही लूट का पर्दाफाश कर दिया है। नियामक आयोग ने इस प्रथा पर पाबंदी लगाते हुए इसे गैर-कानूनी करार दिया है।
मप्र विद्युत नियामक आयोग ने इस सिलसिले मे प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियों को निर्देश जारी किए हैं कि अब उपभोक्ताओं से मीटर चालू होने की दशा मे उन्हें औसत खपत के बिल नहीं दिए जा सकते हैं। इन निर्देशों के अमल मे आते ही बिजली बिलों मे औसत यूनिट जोड़ने की प्रथा पर पूरी तरह से पाबंदी लग गई है।
नियामक आयोग ने यह निर्णय देवास जिले के उपभोक्ताओ ने की उस शिकायत पर लिया है जिसमे उन्होने आरोप लगाया है कि बिजली विभाग उनके मीटर की खपत के अलावा मनमाने औसत यूनिट जोड़कर बिल थमाती है।
आयोग के सचिव अशोक शर्मा ने बिजली वितरण कंपनी इंदौर, भोपाल तथा जबलपुर के प्रबंध संचालकों को पत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि मीटर द्वारा दर्शाई गई खपत मे आंकलित यूनिट जोड़कर बिलिंग करना गलत है। इस प्रकार की कार्यवाही टैरिफ आदेश के विपरीत है। मीटर चालू होने पर किसी भी दशा मे आंकलित खपत को बिलों मे नहीं जोड़ा जा सकता है।
इन निर्देशों के जारी होते ही सागर संभाग के 52 हजार से अधिक बिजली-उपभोक्ताओं को औसत बिलों की मार से राहत मिलेगी। शहर के करीब एक तिहाई उपभोक्ताओं को हर माह बिजली विभाग उनकी वास्तविक खपत के अलावा औसत खपत के बिल भी थमाता रहा है। जो इस बात का विरोध जताने बिजली दफ्तर पहुंच जाता था उसका बिल सुधर जाता था बाकी उपभोक्ता यह बढ़ा हुआ बिल ही भरते थे। इस अतिरिक्त आमदानी का उपयोग बिजली विभाग कथित रूप से चोरी हो रही बिजली के भुगतान की भरपाई में करता था।
गौरतलब है कि अकेले सागर जिले मे बिजली की कुल खपत की करीब आधी बिजली चोरी चली जाती है। अकेले सागर नगर संभाग मे ही बिजली विभाग करीब 130 लाख यूनिट की मासिक खपत मे से आधी खपत का ही बिल वसूल पाता है।

1 comments:

Anonymoussaid...

it is most important step in the interest of public.
Govind Rajput
Sagar(MP)

 
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