अपराधों से पीड़ित लोगों की मदद और उनके अधिकारों के सरंक्षण के लिए जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता मे सलाहकार समितियों का गठन करने की दिशा मे मप्र देश का पहला राज्य बन गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक जिला समिति के सदस्यों मे पुलिस अधीक्षक अथवा उनके द्वारा नामांकित राजपत्रित पुलिस अधिकारी, मुख्य चिकितसा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अथवा नामांकित अधिकवक्ता, समाजसेवी, सेवानिवृत प्रशासकीय अधिकारी, वरिष्ठ चिकित्सक, शिक्षाविद् या एनजीओ को कोई पदाधिकारी को सदस्य मनोनीत किया जा सकता है। मानव अधिकार आयोग द्वारा नामांकित आयोग मित्र समिति के संयोजक होगें।
सागर संभाग के सभी जिलों मे ऐसी समितियों का गठन कर दिया गया है। सागर जिले की सलाहकार समिति मे सेवानिवृत प्रशासकीय अधिकारी एससी जैन, शिक्षाविद् आरडी मिश्रा, समाजसेविका मीना पिंपलापुरे, व नूतन मोहर को मनोनीत किया गया है। जबकि पन्ना जिले की समिति में त्रिलोकचंद जैन, एसएस चौहान, पीएन पाहरिया और बालमुकुंद नायक, दमोह जिले की समिति में संजय सेन, एनएल तिवारी, छविनाथ तिवारी, और श्रीमती एस पंड्या, छतरपुर जिले की समिति में धर्मदास चौरसिया, मोहनसिंह गंगाप्रसाद और श्रीमती जयंती अहिरवार व टीकमगढ़ जिले की समिति में मगनलाल गोयल, आरएस शर्मा, कपिलदेव तेलंग और बालाजी सदस्य बनाए गए हैं।
मानवाधिकार व कानून के क्षेत्र मे सक्रिय विशेषज्ञों का मानना है कि अपराध घटित होने के बाद पुलिस, प्रशासन व न्यायाप्रणाली का पूरा ध्यान अपराधी पर केन्द्रित हो जाता है। लेकिन अपराधों से पीड़ित लोगों की मदद और पुनर्वास पर कोई ध्यान नहीं देता है। जबकि लोक कल्याणकारी व संवेदनशील सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह पीड़ितों की सुरक्षा व पुनर्वास पर भी खास ध्यान देती रहे।
इसी मकसद से जिला स्तर पर पीड़ितों की सुरक्षा व मदद के लिए गठित सलाहकार समितियों मे कोई भी पीड़ित लिखित या मौखिक रूप से मदद या रक्षा की मांग कर सकेगा। समितियों का मुख्य काम फरियादियों को चिकित्सकीय, कानूनी, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक सहायता मुहैया कराना होगा। यह समिति पीड़ितों की रक्षा व पुनर्वास के बारे मे मानवाधिकार आयोग को भी सुझाव भेजेगी। इतना ही नहीं घटना एवं हालातों की गंभीरता को देखकर मानवाधिकार आयोग खुद भी इन सलाहकार समितियों को जरूरी सुझाव व निर्देश जारी कर सकता है।
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक जिला समिति के सदस्यों मे पुलिस अधीक्षक अथवा उनके द्वारा नामांकित राजपत्रित पुलिस अधिकारी, मुख्य चिकितसा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अथवा नामांकित अधिकवक्ता, समाजसेवी, सेवानिवृत प्रशासकीय अधिकारी, वरिष्ठ चिकित्सक, शिक्षाविद् या एनजीओ को कोई पदाधिकारी को सदस्य मनोनीत किया जा सकता है। मानव अधिकार आयोग द्वारा नामांकित आयोग मित्र समिति के संयोजक होगें।
सागर संभाग के सभी जिलों मे ऐसी समितियों का गठन कर दिया गया है। सागर जिले की सलाहकार समिति मे सेवानिवृत प्रशासकीय अधिकारी एससी जैन, शिक्षाविद् आरडी मिश्रा, समाजसेविका मीना पिंपलापुरे, व नूतन मोहर को मनोनीत किया गया है। जबकि पन्ना जिले की समिति में त्रिलोकचंद जैन, एसएस चौहान, पीएन पाहरिया और बालमुकुंद नायक, दमोह जिले की समिति में संजय सेन, एनएल तिवारी, छविनाथ तिवारी, और श्रीमती एस पंड्या, छतरपुर जिले की समिति में धर्मदास चौरसिया, मोहनसिंह गंगाप्रसाद और श्रीमती जयंती अहिरवार व टीकमगढ़ जिले की समिति में मगनलाल गोयल, आरएस शर्मा, कपिलदेव तेलंग और बालाजी सदस्य बनाए गए हैं।
मानवाधिकार व कानून के क्षेत्र मे सक्रिय विशेषज्ञों का मानना है कि अपराध घटित होने के बाद पुलिस, प्रशासन व न्यायाप्रणाली का पूरा ध्यान अपराधी पर केन्द्रित हो जाता है। लेकिन अपराधों से पीड़ित लोगों की मदद और पुनर्वास पर कोई ध्यान नहीं देता है। जबकि लोक कल्याणकारी व संवेदनशील सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह पीड़ितों की सुरक्षा व पुनर्वास पर भी खास ध्यान देती रहे।
इसी मकसद से जिला स्तर पर पीड़ितों की सुरक्षा व मदद के लिए गठित सलाहकार समितियों मे कोई भी पीड़ित लिखित या मौखिक रूप से मदद या रक्षा की मांग कर सकेगा। समितियों का मुख्य काम फरियादियों को चिकित्सकीय, कानूनी, मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक सहायता मुहैया कराना होगा। यह समिति पीड़ितों की रक्षा व पुनर्वास के बारे मे मानवाधिकार आयोग को भी सुझाव भेजेगी। इतना ही नहीं घटना एवं हालातों की गंभीरता को देखकर मानवाधिकार आयोग खुद भी इन सलाहकार समितियों को जरूरी सुझाव व निर्देश जारी कर सकता है।
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